India Supports Afghanistan: संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में भारत ने पाकिस्तान की अफगानिस्तान में की गई स्ट्राइक की कड़ी निंदा की है. साथ ही स्ट्राइक में मारे गए महिलाओं-बच्चों और स्थानीय क्रिकेटरों की मौत को अंतरराष्ट्रीय कानून का गंभीर उल्लंघन बताया. साथ ही कहा कि क्षेत्रीय स्थिरता के लिए यह स्ट्राइक बड़ा खतरा पैदा करते हैं. भारत को यह कहने का मौका खुद पाकिस्तान ने दिया, क्योंकि भारत अब तक इस तरह की सीधी टिप्पणी करने से बचता रहा था.
पाकिस्तान के प्रवक्ता ने उसी रुख का कर दिया था समर्थन
दरअसल, कुछ दिन पहले पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने बयान देकर कहा था कि वह चीन की क्षेत्रीय संप्रभुता से जुड़े मामलों में उसके साथ खड़ा है. चीन अरुणाचल प्रदेश को झांगनान कहकर अपना बताता है और पाकिस्तान के प्रवक्ता ताहिर अंद्राबी ने उसी रुख का समर्थन कर दिया था. इसके बाद संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में अफगानिस्तान पर बैठक आयोजित की गई थी.
तालिबान के साथ व्यावहारिक संबंध रखने के पक्ष में है भारत
यहां भारत ने स्पष्ट किया कि वह तालिबान के साथ व्यावहारिक संबंध रखने के पक्ष में है, क्योंकि केवल दंडात्मक कदमों पर आधारित नीति पुराने और अप्रभावी दृष्टिकोण को ही आगे बढ़ाएगी. भारत के स्थायी प्रतिनिधि, राजदूत पार्वथनेनी हरीश ने इस दौरान पाकिस्तान को उसी की फेंके जाल में फंसा दिया. भारत को यह कहने का मौका खुद पाकिस्तान ने दिया, क्योंकि भारत अब तक इस तरह की सीधी टिप्पणी करने से बचता रहा था.
अफगानिस्तान के लोगों की भलाई सुनिश्चित करें
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद को संबोधित करते हुए राजदूत पार्वथनेनी हरीश ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय को ऐसे नीति-निर्माण पर ध्यान देना चाहिए जो अफगान जनता को दीर्घकालिक लाभ पहुंचा सके. हरीश ने कहा कि भारत संयुक्त राष्ट्र और अंतरराष्ट्रीय समुदाय से अपील करता है कि वे ऐसी नीतियां अपनाएं जो अफगानिस्तान के लोगों की भलाई सुनिश्चित करें. भारत तालिबान के साथ व्यावहारिक संबंध बनाए रखने का पक्षधर है.
स्पष्ट नीति से सकारात्मक कदमों को मिलेगा बढ़ावा
एक स्पष्ट नीति से सकारात्मक कदमों को बढ़ावा मिलेगा जबकि केवल दंडात्मक उपायों पर जोर देने से पिछले साढ़े चार वर्षों में देखे गए पुराने दृष्टिकोण को ही बल मिलेगा. उन्होंने अफगानिस्तान के लोगों की विकास संबंधी जरूरतों को पूरा करने के प्रति भारत की प्रतिबद्धता को दोहराते हुए कहा कि काबुल में भारत के तकनीकी मिशन को दूतावास का दर्जा बहाल करने का हालिया निर्णय इस दिशा में एक महत्वपूर्ण संकेत है.
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