Indus Waters Treaty: भारत ने पहलगाम आतंकी हमले के बाद सिंधु जल संधि निलंबित करने पर पाकिस्तान की आपत्तियों को सख्ती से खारिज कर दिया है. संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (UNHRC) के जिनेवा सत्र में भारतीय राजनयिक अनुपमा सिंह ने कहा कि स्थायी सहयोग विश्वास पर टिका होता है, आतंकवाद पर नहीं. साथ ही उन्होने ये आरोप भी लगाया कि पाकिस्तान बार बार परिषद की कार्रवाही को राजनीतिक रंग देने की कोशिश करता है, जबकि उसका खुद का रिकॉर्ड संधि के सिद्धांतों के उल्लंघन से भरा पड़ा है.
संधि पर भारत का स्पष्ट संदेश
भारतीय राजनयिक ने कहा कि 1960 में हस्ताक्षरित सिंधु जल संधि सद्भावना और मित्रता की भावना से हुई थी, लेकिन आज का समय बिल्कुल अलग है. उन्होंने कहा कि “साल 1960 की दुनिया आज की दुनिया नहीं है. पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद लगातार इस संधि की मूल भावना को खोखला कर रहा है. जो देश लगातार और जानबूझकर संधि की मूल भावना का उल्लंघन करता है, उसे दूसरों पर आरोप लगाने का कोई हक नहीं.”
जल संकट से जूझ रहा पाकिस्तान
बता दें कि 1960 में विश्व बैंक की मध्यस्थता में हुई सिंधु जल संधि को भारत-पाक संबंधों में सहयोग का प्रतीक माना जाता रहा है. लेकिन पहलगाम हमले के बाद भारत ने 23 अप्रैल को सिंधु जल संधि निलंबित कर दी, इस इस हमले में 26 पर्यटकों की हत्या कर दी थी. भारत के इस कदम के बाद पड़ोसी मुल्क में गंभीर जल संकट खड़ा हो गया है. रिपोर्टों के अनुसार, पाकिस्तान के दोनों बड़े जलाशय मृत स्तर (dead storage level) पर पहुंच गए हैं और कृषि उत्पादन में भारी गिरावट दर्ज की गई है.
जम्मू कश्मीर के पहलगाम में आतंकी हमले के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्र के नाम संबोधन में कहा था, “पानी और खून साथ-साथ नहीं बह सकते.”
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