Iran nuclear facilities: अमेरिका और उसके सहयोगी देशों ने ईरान के परमाणु कार्यक्रम को लेकर उस पर फिर से संयुक्त राष्ट्र के प्रतिबंध लगाने की प्रक्रिया शुरू कर दी है. इसी बीच ईरान ने बड़ा कदम उठाया है. दरअसल, ईरान ने संयुक्त राष्ट्र से उस प्रस्ताव को वापस ले लिया है, जिसमें उसने परमाणु प्रतिष्ठानों पर हमलों पर रोक लगाने की मांग की थी.
पर्दे के पीछे से पैरवी कर रहा अमेरिका
ईरान ने यह प्रस्ताव चीन, रूस और अन्य देशों के साथ मिलकर संयुक्त राष्ट्र परमाणु निगरानी संस्था के सदस्य देशों की वार्षिक बैठक में मतदान के लिए रखा था. लेकिन अब उसने अपने कदम पीछे खीच लिए है. दरअसल, पश्चिमी राजनयिकों का कहना है कि अमेरिका इस प्रस्ताव को पारित होने से रोकने के लिए पर्दे के पीछे से ज़ोरदार पैरवी कर रहा है.
अमेरिका को सता रहा इस बात की चिंता
राजनयिकों ने बताया कि इससे पहले, अमेरिका ने यह आशंका जताई थी कि यदि संयुक्त राष्ट्र में यह प्रस्ताव पारित हो जाता है और अगर एजेंसी, एजेंसी के भीतर इज़रायल के अधिकारों को कम करने का कदम उठाती है, तो वह अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी को मिलने वाले धन में कटौती कर सकता है.
दरअसल, 1981 में इराक में एक परमाणु रिएक्टर पर इज़राइली हमले के परिणामस्वरूप, IAEA के तकनीकी सहायता कार्यक्रम के तहत इज़रायल को दी जाने वाली सहायता निलंबित कर दी गई थी. उस समय, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद, IAEA महाधिवेशन और IAEA बोर्ड ऑफ गवर्नर्स द्वारा पारित प्रस्तावों में इस हमले की कड़ी निंदा की गई थी.
ईरान को परमाणु हथियार विकसित करने नहीं देना चाहता इजरायल
बता दें कि इजरायल ने इसी साल जून के महीने में ईरानी परमाणु और सैन्य स्थलों को निशाना बनाया था. क्योंकि इजरायल नहीं चाहता है कि तेहरान परमाणु हथियार विकसित करें. इजरायल को डर है कि इस्लामी गणराज्य उसके बहुत करीब है. हालांकि ईरान लंबे समय से कहता आ रहा है कि उसका परमाणु कार्यक्रम शांतिपूर्ण है.
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