Iran-US nuclear talks: अमेरिका और ईरान के बीच परमाणु कार्यक्रम को लेकर बातचीत अब “विशेषज्ञ स्तर” पर पहुंच चुकी है, जिसका अर्थ है कि दोनों पक्ष संभावित समझौते के तकनीकी और व्यावहारिक विवरण पर काम कर रहे हैं. हालांकि ईरान का यूरेनियम संवर्धन कार्यक्रम अभी भी बातचीत का मुख्य विवादास्पद मुद्दा बना हुआ है.
दरअसल ईरान का कहना है कि यह उसका वैध और संप्रभु अधिकार है कि वह परमाणु ऊर्जा के लिए यूरेनियम संवर्धन करे, जबकि अमेरिका चाहता है कि ईरान इस प्रक्रिया को सीमित करे या रोके, क्योंकि इससे परमाणु हथियार बनाए जाने की संभावना बनी रहती है.
किसी भी खतरे से नहीं डरता ईरान
ऐसे में ईरान के राष्ट्रपति मसूद पेजेशकियान ने यह स्पष्ट कर दिया है ईरान और अमेरिका के बीच परमाणु कार्यक्रमों को लेकर बातचीत जारी रहेगी, लेकिन ईरान किसी भी प्रकार की धमकी या दबाव के आगे झुकेगा नहीं. ईरानी नौसेना अधिकारियों को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति पेजेशकियान ने कहा, “हम बातचीत कर रहे हैं और आगे भी करते रहेंगे. हमारा मकसद युद्ध नहीं है, लेकिन हम किसी भी खतरे से डरते नहीं हैं. अगर हमें धमकाया गया, तो भी हम अपने वैध अधिकार नहीं छोड़ेंगे. हम अपने सम्मानजनक सैन्य, वैज्ञानिक और परमाणु क्षमताओं से पीछे नहीं हटेंगे.”
ट्रंप ने ईरान को दी थी ये धमकी
बता दें कि हाल ही में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपने एक बयान में कहा था कि बयान दिया कि यदि दोनों देशों के बीच कोई समझौता नहीं होता है, तो अमेरिका ईरान के परमाणु ठिकानों पर सैन्य कार्रवाई कर सकता है. हालांकि ट्रंप ने यह भी दावा किया कि ईरान को वार्ता के दौरान एक नया प्रस्ताव दिया गया है, लेकिन उन्होंने इसके बारे में कोई जानकारी नहीं दी.
यूरेनियम भंडार को और समृद्ध कर सकता है ईरान
वहीं, ट्रंप के इस बयान के बाद ईरानी अधिकारियों ने भी चेतावनी दी है कि यदि अमेरिका द्वारा हमला किया गया, तो ईरान अपने यूरेनियम भंडार को और समृद्ध कर सकता है, जिससे परमाणु हथियार निर्माण की दिशा में कदम बढ़ सकता है. इसके अलावा, ईरान के परमाणु ऊर्जा संगठन के प्रमुख मोहम्मद इस्लाम ने दोहराया कि ईरान का परमाणु कार्यक्रम पूरी तरह से शांतिपूर्ण उद्देश्य के लिए है और यह संयुक्त राष्ट्र की परमाणु निगरानी एजेंसी (IAEA) की निरंतर निगरानी में है.
पूरी पारदर्शिता के साथ चलाया जा रहा कार्यक्रम
मोहम्मद इस्लाम ने कहा कि “हमारा कार्यक्रम पूरी पारदर्शिता के साथ चलाया जा रहा है. शायद ही किसी अन्य देश के परमाणु प्रतिष्ठानों की निगरानी IAEA द्वारा इस स्तर पर की जाती हो. सिर्फ 2024 में ही एजेंसी ने 450 से अधिक निरीक्षण किए हैं.”
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