भारत के बाद इस्लामाबाद जाएंगे विदेश मंत्री वांग यी, चीन-पाकिस्तान की रणनीतिक वार्ता में होंगे शामिल

Aarti Kushwaha
Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)

Pakistan-China relations: चीन के विदेश मंत्री वांग यी भारत के बाद पाकिस्तान का दौरा करेंगे. वो 21 अगस्त को इस्लामाबाद जाएंगे, जहां पाकिस्तान-चीन विदेश मंत्रियों की रणनीतिक वार्ता में शामिल होंगे. इसकी जानकारी मंगलवार को इस्लामाबाद ने एक पत्र जारी कर दी है.

इस्लामाबाद द्वारा जार पत्र के अनुसार, पाकिस्तान के उप-प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री मोहम्मद इशाक डार के निमंत्रण पर चीन के विदेश मंत्री वांग यी 21 अगस्त को छठवीं पाकिस्तान-चीन विदेश मंत्रियों की रणनीतिक वार्ता की सह-अध्यक्षता के लिए इस्लामाबाद का दौरा करेंगे.

चीन-पाकिस्‍तान के बीच उच्‍च–स्‍तरीय आदान प्रदान का हिस्‍सा

चीनी विदेशमंत्री की यह यात्रा पाकिस्तान और चीन के बीच नियमित उच्च-स्तरीय आदान-प्रदान का हिस्सा है, जिससे उनकी ‘सर्वकालिक रणनीतिक सहयोग साझेदारी’ को और गहरा किया जा सके, संबंधित मूल हितों के मुद्दों पर समर्थन की पुष्टि की जा सके, आर्थिक और व्यापार सहयोग को बढ़ाया जा सके और क्षेत्रीय शांति-विकास एवं स्थिरता के लिए उनकी संयुक्त प्रतिबद्धता की पुष्टि की जा सके.

भारत के लिए भी महत्‍वपूर्ण वांग यी की यात्रा

वहीं, भारत के लिए भी चीनी विदेश मंत्री वांग यी की नई दिल्‍ली यात्रा काफी महत्‍वपूर्ण मानी जा रही है, क्‍योंकि यह यात्रा ऐसे में समय में हो रही है जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारतीय वस्तुओं पर टैरिफ को दोगुना करके 50 प्रतिशत कर दिया है, जिसमें रूसी तेल खरीदने पर 25 प्रतिशत का अतिरिक्त जुर्माना भी शामिल है. वहीं, इसी महीने के अंत में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी चीन दौरे पर जाने वाले है, जहां वो एससीओ समिट में शामिल होंगे.

भारत-चीन को प्रदर्शित करनी चाहिए वैश्विक उत्तरदायित्व की भावना

इसी बीच भारत में चीन के राजदूत शू फिहोंग ने ‘एक्स’ पर पोस्ट कर कहा कि भारत और चीन ने सोमवार को द्विपक्षीय संबंधों की गति बनाए रखने पर सहमति व्यक्त की. वही, चीनी विदेशमंत्री ने कहा कि 2.8 अरब से अधिक की संयुक्त जनसंख्या वाले दो सबसे बड़े विकासशील देशों के रूप में चीन और भारत को वैश्विक उत्तरदायित्व की भावना प्रदर्शित करनी चाहिए, प्रमुख शक्तियों के रूप में कार्य करना चाहिए, एकता के माध्यम से शक्ति प्राप्त करने के लिए विकासशील देशों के लिए एक उदाहरण स्थापित करना चाहिए, और विश्व बहुध्रुवीकरण और अंतरराष्ट्रीय संबंधों के लोकतंत्रीकरण को बढ़ावा देने में योगदान देना चाहिए.

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