Israel-Iran conflict: इजरायल, ईरान के पमाणु ठिकानों और परमाणु वैज्ञानिकों को वर्षो से निशाना बना रहा है, जिससे वो अपने परमाणु कार्यक्रम को आगे न बढ़ा सकें. ऐसे में अब इजरायल के भी वैज्ञानिक ईरान के निशाने पर आ गए हैं. इजरायल के साथ जारी इस जंग में तेरहान की मिसाइल ने इजरायल के एक प्रमुख शोध संस्थान पर हमला किया है.
बता दें कि इजरायल का यह शोध संस्थान जीवन विज्ञान और भौतिकी समेत विज्ञान के विभिन्न क्षेत्रों में अपने काम के लिए जाना जाता है. हालांकि ईरान द्वारा ‘वीजमैन विज्ञान संस्थान’ पर किए गए हमले में कोई हताहत नहीं हुआ है, लेकिन संस्थान को काफी नुकसान पहुंचा है, जिससे वर्षो से जारी शोध कार्य भी प्रभावित हुए है.
ईरान के निशाने पर इजरायल के शोध कार्य
तेरहान के इस हमले से इजरायली वैज्ञानिकों को यह भयावह संदेश गया है कि ईरान के साथ बढ़ते संघर्ष में अब वे एवं उनके शोध कार्य भी निशाने पर आ गए हैं. इस हमले में आणविक कोशिका जीव विज्ञान विभाग और आणविक तंत्रिका विज्ञान विभाग के प्रोफेसर ओरेन शुल्डिनर की प्रयोगशाला इस हमले में नष्ट हो गई. ऐसे में प्रोफेसर ने कहा है कि ‘‘यह ईरान के लिए एक नैतिक जीत है. वे इजरायल में विज्ञान के क्षेत्र के प्रमुख संस्थान को नुकसान पहुंचाने में कामयाब रहे.’’
"Early this morning, an Iranian ballistic missile directly hit the Soroka Hospital in Beer Sheva. This hospital serves over one million Israelis, including Bedouins, Jews, Christians and Arabs alike…Iran targets civilians; we target an existential threat that endangers global… pic.twitter.com/c9bjGkrkT5
— Israel Defense Forces (@IDF) June 19, 2025
इजरायल के प्रमुख वैज्ञानिक शोध संस्थान पर हमला किया
हालांकि इससे पहले इजरायल ने ईरान के परमाणु कार्यक्रम को आगे न बढ़ने देने के मकसद से कई बार ईरानी परमाणु वैज्ञानिकों को निशाना बनाया है. हाल ही में उसने ईरान के कई परमाणु ठिकानों को निशाना बनाया था, जिसमें ईरान के कई शीर्ष जनरल के साथ कई परमाणु वैज्ञानिक मारे गए.
बता दें कि इजरायल के ‘वीजमैन विज्ञान संस्थान’ की स्थापना 1934 में की गई थी और बाद में इसका नाम बदलकर इजरायल के पहले राष्ट्रपति के नाम पर वीजमैन रखा गया. यह दुनिया के शीर्ष शोध संस्थानों में से एक है. इसके वैज्ञानिक और शोधकर्ता हर साल सैकड़ों अध्ययन प्रकाशित करते हैं. रसायन विज्ञान में नोबेल पुरस्कार और तीन ट्यूरिंग पुरस्कार इस संस्थान से जुड़े वैज्ञानिकों के नाम हैं. इतना ही नहीं, इसी संस्थान ने 1954 में इजरायल में पहला कंप्यूटर बनाया था.
संस्थान के मुताबिक, ईरान के इस हमले में दो इमारतें क्षतिग्रस्त हुईं, जिनमें से एक में जीवन विज्ञान प्रयोगशालाएं थीं और दूसरी इमारत खाली एवं निर्माणाधीन थी. यह रसायन विज्ञान के अध्ययन के लिए थी. दर्जनों अन्य इमारतें क्षतिग्रस्त हुईं. परिसर को हमले के बाद से बंद कर दिया गया है.
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