Japan Upper House Election: जापान के अपर हाउस की 124 सीटों के लिए रविवार को मतदान शुरू हो गया है. बता दें कि जापान के ऊपरी सदन ‘हाउस ऑफ काउंसलर्स’ में कुल 248 सीटें हैं, लेकिन इसकी आंधी सीट यानी 124 के लिए रविवार को मतदान किया जा रहा है. वहीं, आशंका जताई जा रही है कि इस महत्वपूर्ण चुनाव में प्रधानमंत्री शिगेरू इशिबा और उनके सत्तारूढ़ गठबंधन को हार का सामना करना पड़ सकता है.
हार से अस्थिर हो सकता है जापान
जानकारों के मुताबिक, यदि जापान के ऊपरी सदन के चुनाव में शिगेरू इशिबा का गठबंधन हारा तो इससे देश में राजनीतिक अस्थिरता और बढ़ सकती है. हालांकि चुनाव में खराब प्रदर्शनों के बावजूद सरकार में तुरंत बदलाव नहीं होगा, क्योंकि उच्च सदन के पास किसी नेता के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने का अधिकार नहीं है, मगर इससे इशिबा की स्थिति और जापान की राजनीतिक स्थिरता को लेकर अनिश्चितता जरूर बढ़ जाएगी.
रविवार रात तक नतीजें आने की उम्मीद
बता दें कि मतदाता जापान की संसद ‘डायट’ के दोनों सदनों में से कम शक्तिशाली उच्च सदन की 248 सीट में से 124 पर फैसला करेंगे. वहीं, इस चुनाव के शुरुआती नतीजे रविवार रात तक आने की संभावना है. इस दौरान 125 सीट के साधारण बहुमत का लक्ष्य रखा है जिसका मतलब है कि उनकी ‘लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी’ और उसके बौद्ध समर्थित गठबंधन सहयोगी कोमेइतो को पहले से मौजूद 75 सीट में 50 सीट और जोड़नी होंगी.
महंगाई और चावल संकट ने बढ़ाई इशिबा की मुश्किल
दरअसल, जापान में तेजी से बढ़ती महंगाई, घटती आय और सामाजिक सुरक्षा भुगतान के बोझ से जनता परेशान है. चावल की कीमतें सप्लाई की कमी और वितरण तंत्र की जटिलता के कारण दोगुनी हो चुकी हैं, जिसके चलते बाजारों में पैनिक बाइंग देखी जा रही है. यहा तक कि इसी मुद्दे पर एक कृषि मंत्री को इस्तीफा तक देना पड़ा, जिसके बाद शिंजिरो कोइज़ुमी को नियुक्त किया गया. ऐसे में कोइजुमी ने भंडारण से चावल रिलीज़ कर हालात को संभालने की कोशिश की है, लेकिन प्रभाव सीमित है.
ट्रंप के टैरिफ और व्यापार दबाव ने बढ़ाई चिंता
वहीं, दूसरी ओर अमेरिका भी इशिबा पर व्यापार समझौते को लेकर दबाव बना रहा है. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने जापान पर अमेरिकी कारों और चावल की बिक्री में प्रगति न करने का आरोप लगाया है. ऐसे में 1 अगस्त से जापान पर 25 प्रतिशत टैरिफ लागू होना है, जिससे उसकी अर्थव्यसवस्था को बड़ा झटका लग सकता है. हालांकि इशिबा ने चुनाव से पहले कोई समझौता करने से इनकार किया है, लेकिन बाद में भी सफलता की कोई गारंटी नहीं है.
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