लद्दाख में 3.7 की तीव्रता से कापी धरती, लोगों में दहशत

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New Delhi: तड़के सुबह आज लद्दाख के लेह में भूकंप का झटका महसूस किया गया. राष्ट्रीय भूकंप विज्ञान केंद्र (National Centre for Seismology) ने इसकी जानकारी देते हुए बताया कि ‘लद्दाख के लेह में रिक्टर पैमाने पर 3.7 तीव्रता का भूकंप दर्ज किया गया है. इसी के साथ पड़ोसी देश चीन में भी भूकंप का झटके महसूस किए गए हैं. मिली जानकारी के अनुसार, सोमवार को चीन के झिंजियांग में 4.4 तीव्रता का भूकंप दर्ज किया गया है. इसकी गहराई 10 किलोमीटर रही. इस दौरान सोते समय लोगों को भूकंप के हल्के झटके महसूस हुए. हालांकि इस भूकंप की वजह से किसी प्रकार की जनहानि नहीं हुई है.

लद्दाख के लेह में भूकंप (New Delhi)

लेह में रविवार को 3.7 तीव्रता का रहा. राष्ट्रीय भूकंप विज्ञान केंद्र के मुताबिक, भूकंप का केंद्र जमीन की सतह से 10 किलोमीटर की गहराई पर दर्ज किया गया है. इससे पहले, लेह में 21 अक्टूबर 2025 को भी दोपहर के समय 3.7 तीव्रता का भूकंप आया था, जिसका केंद्र जमीन की सतह से 90 किलोमीटर की गहराई पर दर्ज किया गया था. विशेषज्ञों के अनुसार, यह इलाका भारतीय और यूरेशियाई टेक्टोनिक प्लेटों की सीमाओं के पास स्थित होने के कारण भूकंप के प्रति अत्यधिक संवेदनशील माना जाता है. इस तरह के लगातार हल्के झटके भूवैज्ञानिकों के लिए चिंता का विषय बन सकते हैं, क्योंकि वे सतह के नीचे की ऊर्जा के संचयन और रिलीज का संकेत देते हैं.

झिंजियांग में 4.4 तीव्रता का भूकंप

चीन के झिंजियांग में सोमवार को 4.4 तीव्रता का भूकंप आया. NCS ने बताया कि ये भूकंप 10 किमी की उथली गहराई पर आया है. भूकंप का झटका तड़के 1 बजकर 26 मिनट पर महसूस किया गया. ये उथली गहराई पर रहा, जो आमतौर पर खतरनाक माने जाती है. फिलहाल इस भूकंप की वजह से भी किसी प्रकार के नुकसान की कोई सूचना सामने नहीं आई है. हालांकि कम गहराई वाले भूकंप आमतौर पर ज्यादा खतरनाक होते हैं. ऐसा इसलिए क्योंकि उथले भूकंपों से आने वाली भूकंपीय तरंगों की सतह तक पहुंचने की दूरी कम होती है, जिसके परिणामस्वरूप जमीन ज़्यादा हिलती है.

भूकंप की संवेदनशीलता

झिंजियांग क्षेत्र भी भूकंपीय दृष्टि से बेहद सक्रिय है. रिपोर्ट्स के अनुसार, 20वीं सदी की शुरुआत से अब तक चीन में 6 या उससे अधिक तीव्रता वाले 800 से ज्यादा भूकंप दर्ज किए जा चुके हैं. यह आंकड़ा इस बात की पुष्टि करता है कि देश का एक बड़ा हिस्सा, खासकर पश्चिमी और दक्षिण-पश्चिमी क्षेत्र, उच्च भूकंपीय जोखिम वाले क्षेत्रों में आता है.

लेह और झिंजियांग में आए ये हल्के झटके इस बात की याद दिलाते हैं कि हिमालयी क्षेत्र और उसके आसपास के इलाके निरंतर भूकंपीय गतिविधियों के अधीन हैं. ऐसे में, स्थानीय प्रशासन और नागरिकों के लिए भूकंप रोधी निर्माण, तैयारी और जागरूकता बनाए रखना अत्यंत महत्वपूर्ण हो जाता है. वर्तमान में, दोनों क्षेत्रों में किसी बड़े नुकसान की खबर नहीं है, लेकिन राष्ट्रीय भूकंप विज्ञान केंद्र इन गतिविधियों पर बारीकी से नजर रखे हुए है.

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