Rampur: उत्तर प्रदेश के रामपुर की नवाबजादी मेहरून्निसा बेगम का अमेरिका के वॉशिंगटन डीसी में निधन हो गया है. 92 वर्ष की आयु में उन्होंने दुनिया को अलविदा कह दिया. इसके साथ ही रामपुर के एक गौरवशाली अध्याय व सांस्कृतिक और सामाजिक युग का भी अंत हो गया है, जिसने दशकों तक नवाबी परंपराओं को जीवित रखा. उनके निधन की खबर से रामपुर के शाही परिवार और सांस्कृतिक समुदाय में शोक की लहर है.
शाही परंपराओं, संगीत, साहित्य और शिक्षा से सजे माहौल में बीता बचपन
मेहरून्निसा बेगम का जन्म 24 जनवरी 1933 को रामपुर के नवाबी परिवार में हुआ था. वह रामपुर के अंतिम शासक नवाब रजा अली खां और उनकी तीसरी पत्नी तलअत जमानी बेगम की पुत्री थीं. उनका बचपन शाही परंपराओं, संगीत, साहित्य और शिक्षा से सजे माहौल में बीता. रामपुर उस समय कला, संगीत और तहज़ीब का केंद्र माना जाता था. मेहरून्निसा बेगम ने इस परंपरा को बखूबी आगे बढ़ाया.
मसूरी और लखनऊ के प्रतिष्ठित संस्थानों में हुई प्रारंभिक शिक्षा
मेहरून्निसा की प्रारंभिक शिक्षा मसूरी और लखनऊ के प्रतिष्ठित संस्थानों में हुई. बेगम साहिबा बचपन से ही अत्यंत सुसंस्कृत, विदुषी और मिलनसार स्वभाव की थीं. उन्हें उर्दू साहित्य, संगीत और इतिहास से गहरा लगाव था. यही वजह रही कि उन्होंने बाद में शिक्षा को अपने जीवन का अहम हिस्सा बनाया. मेहरून्निसा बेगम की पहली शादी भारतीय सिविल सेवा अधिकारी सैयद तकी नकी से हुई थी. हालांकि बाद में उनका रिश्ता पाकिस्तान के सैन्य इतिहास से जुड़ गया, जब उन्होंने पाकिस्तानी एयर चीफ मार्शल अब्दुर्रहीम खान से दूसरा निकाह किया.
अंतरराष्ट्रीय दायरे में भी प्रसिद्ध हो गया जीवन
यह रिश्ता न सिर्फ दो देशों की सीमाओं को पार कर गया बल्कि इसने यह भी दिखाया कि रिश्ते संस्कृति और सम्मान से ऊपर होते हैं. अब्दुर्रहीम खान पाकिस्तान के वायुसेना प्रमुख रह चुके थे और मेहरून्निसा बेगम का जीवन इसके बाद अंतरराष्ट्रीय दायरे में भी प्रसिद्ध हो गया. साल 1977 में वह अमेरिका चली गईं और वहीं बस गईं. वहां उन्होंने इंटरनेशनल सेंटर फॉर लैंग्वेज स्टडीजए वॉशिंगटन डीसी में उर्दू और हिंदी की शिक्षिका के रूप में काम किया.
हमेशा अपनी जड़ों से संपर्क बनाए रखती थीं मेहरून्निसा
उन्होंने न सिर्फ अपनी मातृभाषाओं को जीवित रखा बल्कि विदेशी विद्यार्थियों को भारतीय संस्कृति और भाषा से जोड़ने का कार्य भी किया. मेहरून्निसा बेगम की चार संतानें थीं दो बेटे और दो बेटियां. उनके बेटे आबिद खान का पहले ही निधन हो चुका था जबकि दूसरे बेटे जैन नकी ने अंतिम समय तक उनकी देखभाल की. उनकी दो बेटियां जैबा हुसैन और मरयम खान अमेरिका में ही रहती हैं. बेगम साहिबा अपने परिवार से गहरे जुड़ी हुई थीं और हमेशा अपनी जड़ों से संपर्क बनाए रखती थीं.
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