भारतीय नौसेना का इतिहास बन रहा गौरवशाली, पहली बार नेवी में शामिल हुआ ‘आईएनएस निस्तार’

Nistar : वर्तमान समय में भारतीय नौसेना की ताकत अब और बढ़ गई है. क्‍योंकि अब भारतीय नौसेना के बेडे़ में देश का पहला स्वदेशी डाइविंग सपोर्ट वेसल (डीएसवी) आईएनएस निस्तार शामिल हो गया है. जानकारी के मुताबिक, आईएनएस निस्तार का निर्माण और डिजाइन देश में ही किया गया है. बता दें कि इस युद्धक जहाज का निर्माण भारतीय शिपिंग रजिस्टर के नियमों के तहत किया गया है.

पुराने जहाज नहीं मरते- एडमिरल दिनेश के त्रिपाठी

आईएनएस निस्तार को लेकर केंद्रीय रक्षा राज्य मंत्री संजय सेठ का कहना है कि ‘भारतीय नौसेना का इतिहास गौरवशाली है और यह भारत की ताकत को और बढ़ाएगा.’ उन्‍होंने ये भी कहा कि भारत सैन्‍य मामलों में आत्मनिर्भरता की तरफ बढ़ रहा है. प्राप्‍त जानकारी के अनुसार अब भारत का लक्ष्य 50 हजार करोड़ रुपये के हथियार निर्यात करने का है.’  इस अवसर पर नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश के त्रिपाठी ने कहा कि ‘पुराने जहाज कभी नहीं मरते, वे सिर्फ नए रूप में हमारे पास वापस आते हैं.’

आत्मनिर्भरता की ओर भारत का अहम कदम

पड़ोसी देश के साथ तनावों के बीच रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की ओर भारत का यह अहम कदम है. ऐसे में सरकार के आधिकारिक बयान के अनुसार, आईएनएस निस्तार के 80 फीसदी उपकरण स्वदेशी हैं. यह युद्धक जहाज आधुनिक तकनीक से समुद्र में गहराईयों तक उतारा जा सकता है. इस दौरान इस डाइविंग सपोर्ट वेसल की मदद से राहत और बचाव कार्य चलाने, मरम्मत के काम आदि में काफी मदद मिलेगी. आईएनएस निस्‍तार जैसी ताकत अभी तक दुनिया के चुनिंदा देशों के पास ही है.

जहाज डीएसआरवी के लिए मदर शिप का करता है काम

बता दें कि निस्तार शब्‍द संस्कृत भाषा से लिया गया है, इसका अर्थ होता है आजादी या बचाव.  युद्ध के दौरान यह जहाज डीएसआरवी के लिए मदर शिप का काम करता है. यदि किसी वजह से कोई आपात स्थिति आती है तो मरम्मत कार्य या बचाव कार्य के लिए जवानों को एक हजार मीटर की गहराई तक उतारा जा सकता है. पहली बार भारतीय नौसेना को साल 1969 में सोवियत संघ से पहला डाइविंग सपोर्ट वेसल मिला था. इसके साथ ही बता दें कि करीब दो दशकों की सेवा के बाद उसे रिटायर किया गया था. अब आईएनएस निस्तार स्वदेशी और भारत में ही डिजाइन किया गया है.

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