Russia-India-China: भारत-चीन-रूस के त्रिपक्षीय संवाद को फिर से शुरू करने के प्रयासों के बीच दुनिया वर्ल्ड ऑर्डर के मामले में कई ध्रुवों में बंट सकती है. बता दें कि RIC संगठन को पुनर्जीवित करने का मुद्दा सबसे पहले रूस ने उठाया था, जिसके बाद चीन ने भी इसे अपना समर्थन किया. ऐसे में अब इंतजार है, तो सिर्फ भारत का. लेकिन सवाल ये है कि ये दोनों देश इस संगठन को फिर से एक्टिव क्यों करना चाहते है, और भारत का इसे लेकर क्या कहना है.
जिंगपिंग ने किया पुतिन का समर्थन
दरअसल, रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने हाल ही में कहा था कि अब “ट्रोइका” की वापसी का समय आ गया है. सर्गेई लावरोव ने कहा कि हम वास्तव में इस त्रिपक्षीय मंच रूस, भारत, चीन को फिर से सक्रिय करने में रुचि रखते हैं. रूस के इस प्रस्ताव का चीन ने भी समर्थन किया है. चीन ने कहा कि यह सहयोग न सिर्फ इन तीनों देशों के हितों को सर्विस देता है, बल्कि क्षेत्रीय और वैश्विक शांति, सुरक्षा, स्थिरता और प्रगति को भी मजबूत करता है. यह संगठन तीनों ही देशों के हित में है. इसलिए चीन इस त्रिपक्षीय सहयोग को आगे बढ़ाने के लिए रूस और भारत के साथ संवाद बनाए रखने के लिए तैयार है.
वहीं, भारत इसे लेकर कोई जल्दबाजी नहीं करना चाहता है. ऐसे में भारत ने स्पष्ट रूप से कह दिया है कि इस प्रारूप को फिर से शुरू करने का निर्णय “सभी पक्षों के अनुकूल समय और सुविधा” पर आधारित होगा. दरअसल, रूस का मानना है कि से RIC Eurasian महाद्वीप में एक समतुल्य सुरक्षा और सहयोग ढांचा बन सकता है, जो पश्चिमी गुटों के दबाव के समय में सामरिक संतुलन स्थापित कर सकता है.
RIC से क्या है पश्चिम को खतरा?
रूस के मुताबिक, भले ही इसमें तीन देश होंगे, लेकिन तीनों महाशक्तिशाली होने के नाते वह नाटो जैसे ताकतवर हो सकते हैं, जिससे अमेरिका और नाटो की चितांए बढ़ सकती है. ऐसे में अमेरिका कभी नहीं चाहेगा कि यह संगठन फिर से जीवंत हो. जानकारों के मुताबिक, चीन के साथ प्रबल प्रतिद्वंदिता के चलते अमेरिका को भारत को साध कर चलना जरूरी है. लेकिन इस समय पाकिस्तान के साथ अमेरिका का अधिक लगाव होने के कारण भारत भी उसे ट्रेलर दे रहा है.
ऐसे में यह माना जा सकता है कि अमेरिका ने RIC के पुनर्जीवित होने के खतरे को भांप कर ही पहलगाम आतंकी हमले के जिम्मेदार टीआरएफ को वैश्विक आतंकी संगठन घोषित किया है, जिससे भारत अमेरिका के पाले से खिसक न जाए.
वर्ल्ड ऑर्डर बदलने की चिंता
अमेरिका के अलावा नाटो समेत अन्य पश्चिमी देशों को भी इस संगठन के फिर से एक्टिव होने पर वर्ल्ड ऑर्डर बदलने की चिंता सता सकती है. क्योंकि तीनों ही यूरेशिया के ताकतवर देश हैं. इनमें भारत दुनिया के विभिन्न महाद्वीपों के बीच रिश्ते संतुलित करने और भरोसेमंद देश माना जाता है. ऐसे में ये तीनों देश मिलकर वर्ल्ड ऑर्डर को चेंज कर सकते हैं, जिससे दुनिया के तमाम देश विवादों समेत अन्य वैश्विक समाधान के लिए अमेरिका और नाटो के बजाय RIC की ओर रुख कर सकते हैं, जिससे अमेरिका की बादशाहत खत्म हो सकती है.
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