Pahalgam attack: जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुआ आतंकवादी हमला एक सुनियोजित साजिश थी, जिसे जिसे रातनीतिक और सैन्य नेतृत्व के निर्देश पर पाकिस्तान की आईएसआई और आतंकवादी समूह लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) द्वारा अंजाम दिया गया.टाइम्स ऑफ इंडिया के रिपोर्ट के मुताबिक, पहलगाम हमले को मुंबई अटैक की तर्ज पर अंजाम दिया गया था, जिसका नेतृत्व संदिग्ध पाकिस्तानी स्पेशल फोर्स कमांडो ने सुलेमान ने किया था था.
दरअसल, इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस ने पाकिस्तान स्थित लश्कर कमांडर साजिद जट्ट को केवल विदेशी आतंकवादियों को तैनात करने और पूर्ण गोपनीयता सुनिश्चित करने के लिए विशेष निर्देश दिए थे, इसमें कोई भी कश्मीरी नागरिक शामिल नहीं था.
इस संगठन ने ली हमले की जिम्मेदारी
रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि कुछ समय से जम्मू-कश्मीर में सक्रिय लश्कर-ए-तैयबा के विदेशी आतंकवादियों को हत्याओं को अंजाम देने के लिए कहा गया था. दरअसल एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि इस जघन्य हत्या में किसी स्थानीय आतंकवादी ने भाग नहीं लिया था और न ही उन्हें आतंकी साजिश की सटीक जानकारी थी. वहीं, प्रतिबंधित लश्कर-ए-तैयबा संगठन के एक छद्म समूह, द रेजिस्टेंस फ्रंट ने पहलगाम हमले की ज़िम्मेदारी ली है.
समूह पाकिस्तान द्वारा इस्तेमाल किया जाने वाला मुखौटा
दरअसल, भारतीय एजेंसियों का कहना है कि यह समूह अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों से बचने के लिए पाकिस्तान द्वारा इस्तेमाल किया जाने वाला एक मुखौटा है. वहीं, इन संदिग्ध हमलावरों की पहचान हाशिम मूसा और अली भाई के रूप में की गई है, जो पाकिस्तानी नागरिक हैं और स्थानीय कार्यकर्ता आदिल हुसैन थोककर के रूप में की है. वहीं, दो अन्य स्थानीय लोगों परवेज अहमद जोथर और बशीर अहमद जोथर- को आतंकवादियों को कथित तौर पर शरण देने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है.
हमले की जांच कर रही राष्ट्रीय जांच एजेंसी का कहना है कि परवेज और बशीर तीनों बंदूकधारियों के आतंकवादी संगठनों से जुड़ाव के बारे में जानते थे और इसके बावजू उन्होंने 22 अप्रैल के हमले से पहले के दिनों में उन्हें आश्रय, भोजन और रसद सहायता प्रदान की.
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