अफगान विदेश मंत्री मुतक्की ने शहबाज सरकार को दी चेतावनी, कहा- आलू-टमाटर पर ताकत आजमा रहा पाकिस्तान

Pakistan-Afganistan : अफगानिस्तान और पाकिस्तान के बीच चल रहे संघर्ष को लेकर शांति वार्ता एक बार विफल हो गई है. ऐसे में अफगानिस्तान के विदेश मंत्री मुतक्की ने कहा कि इस्लामाबाद के साथ वार्ता विफल होने का मुख्य कारण पाकिस्तानी प्रतिनिधिमंडल की अनुचित मांगें थीं. इस दौरान उन्‍होंने चेतावनी देते हुए कहा कि अफगानिस्तान की क्षेत्रीय अखंडता के किसी भी उल्लंघन का कड़ा जवाब दिया जाएगा.

दोनों देशों के बीच विफल हुई शांति वार्ता

उन्‍होंने ये भी कहा कि “पाकिस्तानी प्रतिनिधियों ने बातचीत के दौरान ऐसी मांगें रखीं जो न तो व्यावहारिक थीं और न ही वाजिब. ऐसे में जानकारी देते हुए मुतक्‍की ने बताया कि उनकी एक मांग थी कि हमें गारंटी दीजिए कि पाकिस्तान में आगे कोई सुरक्षा दुर्घटना नहीं होगी. हम पाकिस्तान के साथ आपसी सम्मान के आधार पर मैत्रीपूर्ण संबंध चाहते हैं. इस दौरान अगर दूसरा पक्ष (पाकिस्तान) अफगानिस्तान की संप्रभुता के खिलाफ कुछ करने की सोचता है तो हम अपनी रक्षा के लिए पूरी तरह तैयार हैं.”

आलू-टमाटर पर ताकत आजमा रहा पाकिस्तान

प्राप्‍त जानकारी के अनुसार दोनों देशों के बीच मुद्दे लंबे समय से चले आ रहे हैं, लेकिन अब वह उन्हें अफगानिस्तान से जोड़ने की कोशिश कर रहा है. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, मुतक्की ने कहा कि “खुद को परमाणु संपन्न देश कहने वाला पाकिस्तान प्याज, आलू, टमाटर और गरीब अफगान शरणार्थियों पर अपनी ताकत आजमा रहा है.” इस दौरान उन्होंने खुलासा करते हुए कहा कि पाकिस्तान ने तालिबान पर दवाब डाला था कि वो तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) के खिलाफ कदम उठाए.

इतना ही नही बल्कि बार-बार पाकिस्तान ने अफगान तालिबान पर अपने क्षेत्र में हमलों के लिए जिम्मेदार टीटीपी आतंकवादियों को पनाह देने का आरोप लगाया है. ऐसे में उनके इस आरोप का जवाब देते हुए मुतक्की ने कहा कि पाकिस्तान की आंतरिक सुरक्षा समस्याएं उसकी अपनी ही बनाई हुई हैं.

पाकिस्‍तान की कोई नई समस्या नहीं हैं- मुतक्‍की

उन्‍होंने ये भी कहा कि “ये कोई पहली बार नही है और ये पाकिस्‍तान की कोई नई समस्या नहीं हैं. उनका कहना है कि यह तो आपको भी पता होगा कि टीटीपी पिछले 25 सालों से पाकिस्तान में सक्रिय है? क्या पाकिस्तानी सरकार ने खुद यह नहीं कहा था कि पिछले दो दशकों के संघर्ष में उनके 70 से 80 हजार लोग मारे गए हैं?” इसके साथ ही पाकिस्तान व्यापार मार्गों को बंद करके और शरणार्थी-संबंधी मुद्दों में हेरफेर करके अफगानिस्तान पर दबाव बनाने के लिए अपनी शक्ति का उपयोग कर रहा है.

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