Islamabad: अफगान-पाक सीमा पर हाल के झड़पों और संघर्षविराम उल्लंघनों को रोकने के लिए चल रही रही बैठक के बीच एक नया अपडेट आया है. पाकिस्तानी रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने चेतावनी दी है कि अगर इस्तांबुल में चल रही शांति वार्ता विफल रही तो पाकिस्तान काबुल के साथ खुला युद्ध शुरू कर सकता है. हालांकि आसिफ ने पत्रकारों से कहा कि पिछले कुछ दिनों में सीमा पर कोई नई झड़प नहीं हुई, जिससे दोहा समझौता आंशिक रूप से असरदार साबित हुआ है.
चर्चा चार मुख्य बिंदुओं पर केंद्रित
उधर, अफगान सरकार ने आसिफ के इस बयान पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है. दोनों देशों के प्रतिनिधिमंडल तुर्किये में बातचीत के दूसरे दौर में हिस्सा ले रहे हैं. दोहा समझौता को लागू करना, सीमा पार हमले को रोकना और आपसी भरोसा बहाल करने पर वार्ता चल रही है. चर्चा चार मुख्य बिंदुओं पर केंद्रित है जिनमें हिंसा रोकने के लिए संयुक्त निगरानी प्रणाली बनाना, एक-दूसरे की संप्रभुता का सम्मान सुनिश्चित करना, पाकिस्तान की सुरक्षा चिंताओं की जड़ पर चर्चा करना और व्यापारिक प्रतिबंध हटाना शामिल है.
तेजी से बिगाड़ सकते हैं सीमा पर हालात
आसिफ ने कहा कि फिलहाल सीमा पर स्थिति शांत है लेकिन अगर बातचीत असफल रही तो हालात तेजी से बिगाड़ सकते हैं. यह बैठक 18 और 19 अक्टूबर में हुई पहली वार्ता के बाद हो रही है, जिसमें कतर और तुर्किये ने मध्यस्थता की थी. उस समय दोनों पक्षों ने तुरंत संघर्षविराम लागू करने पर सहमति जताई थी. कतर के विदेश मंत्रालय ने बताया कि अब तुर्किये में चल रही यह बैठक संघर्षविराम को स्थायी और विश्वसनीय बनाने के लिए है.
बलूचिस्तान में कई अफगान शरणार्थी शिविरों को करवाया खाली
आसिफ ने याद दिलाया कि पाकिस्तान दशकों तक अफगानिस्तान की मदद की और लाखों शरणार्थियों को शरण दी. लेकिन इसी सप्ताह पाकिस्तानी सुरक्षाबलों ने बलूचिस्तान में कई अफगान शरणार्थी शिविरों को खाली करवा दिया. इनमें लोरालाई, गार्डी जंगल, सारनान, झोब, कलात-ए-सैफुल्लाह, पिशिन और मुस्लिम बाग के शिविर शामिल हैं. कई शरणार्थियों ने कहा कि उन्हें अचानक निकाल दिया गया और अपनी चीजें तक समेटने का समय नहीं मिला.
अफगान भूमि से पाकिस्तान पर हमले
इस महीने की शुरुआत में संघर्ष तब शुरू हुआ जब पाकिस्तान ने तालिबान सरकार से मांग की कि वह उन उग्रवादियों को रोके जो अफगान भूमि से पाकिस्तान पर हमले कर रहे हैं. इसके बाद पाकिस्तान ने सीमा पार हवाई हमले किए और दोनों देशों के बीच भारी गोलीबारी हुई, जिसमें कई लोगों की मौत हो गई. हालांकि तालिबान अधिकारियों ने इन आरोपों से इनकार किया. कहा कि अफगानिस्तान की भूमि किसी भी देश के खिलाफ इस्तेमाल नहीं हो रही है. उनका कहना है कि इस्लामिक अमीरात किसी देश के आंतरिक मामलों में दखल नहीं देता और क्षेत्रीय शांति के लिए प्रतिबद्ध है.
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