PM Modi: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को नेपाल की अंतरिम सरकार की पीएम सुशीला कार्की से फोन पर बातचीत की. उन्होंने हाल ही में हिंसक विरोध प्रदर्शनों के दौरान जान गंवाने वालों के परिवारों को प्रति संवेदनाएं व्यक्त की और शांति तथा स्थिरता बहाल करने के उनके प्रयासों में भारत (India) के समर्थन को दोहराया.
प्रधानमंत्री ने फोन पर क्या बात की?
प्रधानमंत्री मोदी ने X पर पोस्ट करके कहा, ‘नेपाल की अंतरिम सरकार की प्रधानमंत्री श्रीमती सुशीला कार्की के साथ एक आत्मीय बातचीत हुई. हाल ही में हुई दुखद जनहानि पर अपनी हार्दिक संवेदनाएं व्यक्त कीं और उनके शांति व स्थिरता बहाल करने के प्रयासों के लिए भारत के अटूट समर्थन को दोहराया. साथ ही, मैंने उन्हें और नेपाल के लोगों को उनके कल के राष्ट्रीय दिवस के लिए हार्दिक शुभकामनाएं दीं.’ इससे पहले, पीएम मोदी ने सुशीला कार्की को नेपाल की अंतरिम प्रधानमंत्री के रूप में कार्यभार संभालने पर बधाई दी थी.
Had a warm conversation with Mrs. Sushila Karki, Prime Minister of the Interim Government of Nepal. Conveyed heartfelt condolences on the recent tragic loss of lives and reaffirmed India’s steadfast support for her efforts to restore peace and stability. Also, I extended warm…
— Narendra Modi (@narendramodi) September 18, 2025
सुशीला कार्की ने इन्हें बनाया मंत्री
सुशीला कार्की ने अपने मंत्रिमंडल में तीन मंत्रियों को शामिल किया है. नेपाल के राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल ने सुशीला कार्की की अनुशंसा पर नेपाल विद्युत प्राधिकरण के पूर्व प्रबंध निदेशक कुलमन घीसिंग, पूर्व वित्त मंत्री रामेश्वर खनाल और काठमांडू के मेयर बालेंद्र सलाहकार और वकील ओम प्रकाश आर्यल को मंत्री नियुक्त किया. घीसिंग ऊर्जा, जल संसाधन और शहरी विकास मंत्रालय का कार्यभार संभालेंगे, खनाल को वित्त मंत्री नियुक्त किया गया है जबकि आर्यल को कानून और गृह मंत्रालय का कार्यभार सौंपा गया है. देश में 5 मार्च 2026 को नए चुनाव होंगे.
जेन-जी के आंदोलन से गई ओली सरकार
नेपाल में यह सत्ता-परिवर्तन ‘जेन-जी’ आंदोलन के बाद हुआ है, जिन्होंने केपी शर्मा ओली की सरकार को गिराया. 26 सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर प्रतिबंध के खिलाफ नेपाल के युवाओं ने अपना विरोध शुरू किया था, लेकिन यह विरोध हिंसक प्रदर्शन में बदल गया था. केपी शर्मा ओली की सरकार के कई मंत्रियों के घर फूंक दिए गए थे. यहां तक कि इस आंदोलन के दबाव में केपी शर्मा ओली को प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा.
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