भारत-चीन की नजदीकी से बौखलाए ट्रंप के ट्रेड एडवाइजर नवारो, दे दिया ये बड़ा बयान

Divya Rai
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Content Writer The Printlines (Part of Bharat Express News Network)
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PM Modi Xi Jinping Meeting: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ से दुनियाभर में आर्थिक उथल-पुथल मच गई है. इसी बीच भारत और चीन एक साथ आ गए. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तियानजिन में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) शिखर सम्मेलन में शामिल होने पहुंचे, जहां उन्होंने चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात की. दोनों देशों ने साथ में आकर डोनाल्ड ट्रंप को ये संदेश पहुंचाया कि अब हाथी और ड्रैगन एकजुट हो गए हैं.

PM Modi Xi Jinping की मीटिंग से बौखलाए नवारो

31 अगस्त, रविवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात की. वहीं, भारत-चीन की दोस्ती देखकर डोनाल्ड ट्रंप के ट्रेड एडवाइजर पीटर नवारो बौखला उठे हैं और उन्होंने भारत के खिलाफ अपनी भड़ास निकाली है. नवारो ने कहा कि भारत द्वारा रूसी तेल खरीदने से रूस की ‘युद्ध मशीन’ को बढ़ावा मिल रहा है. उन्होंने कहा, ‘रूसी तेल खरीद करके रूस को यूक्रेन में युद्ध जारी रखने में भारत फाइनेंस कर रहा है. भारत रूस से सस्ते तेल की खरीद करके युद्ध को बढ़ा रहा है.’

नवारो ने की भारत की आलोचना

फॉक्स न्यूज को दिए इंटरव्यू (PM Modi Xi Jinping Meeting) में नवारो ने कहा कि रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन द्वारा फरवरी 2022 में यूक्रेन पर आक्रमण करने से पहले भारत ने रूसी तेल ख़रीदा ही नहीं, बल्कि बहुत कम मात्रा में ख़रीदा था. आख़िर ऐसा क्या हुआ क्या की रूसी रिफ़ाइनर भारत में बड़े तेल कंपनियों के साथ जुड़ गए. उन्होंने कहा, ‘पुतिन भारतीय प्रधानमंत्री मोदी को कच्चे तेल पर छूट देते हैं. वे इसे रिफाइन करते हैं और इसे यूरोप, अफ़्रीका और एशिया में भेजते हैं और ढेर सारा पैसा कमाते हैं. यह रूसी युद्ध मशीन को बढ़ावा देती है. भारत क्रेमलिन के लिए एक कपड़े धोने की मशीन के अलावा कुछ नहीं है, जिससे रूस को यूक्रेनियों को मारने में मदद मिल रही है.’

भारत को यूक्रेन युद्ध का बता चुके हैं फाइनेंशर

ये पहली बार नहीं है जब नवारो ने भारत के खिलाफ जहर उगला है. उन्होंने इससे पहले भी कहा था कि भारत यूक्रेन युद्ध का फाइनेंशर है. उन्होंने कहा था, ‘अमेरिकी उपभोक्ता भारतीय सामान खरीदते हैं, जबकि भारत हाई टैरिफ के जरिए अमेरिकी निर्यात को बाहर रखता है. भारत हमारे डॉलर का उपयोग रियायती रूसी कच्चे तेल को खरीदने के लिए करता है.’

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