Russia America Relation: भारत-चीन-रूस के त्रिपक्षीय संवाद के फिर से शुरू होने के संकेतों के बीच अमेरिकी सेना और नाटो सहयोगियों ने हाल ही में एक नई सैन्य रणनीति शुरू की है, जिसे ईस्टर्न फ्लैंक लाइन कहा जा रहा है. इसका मुख्य उद्देश्य यूरोप में नाटो की जमीनी रक्षा क्षमता को मजबूत करना, अंतर संचालन को बढ़ाना और रूस के बढ़ते खतरे का मुकाबला करना है. इसकी जानकारी अमेरिकी सेना के यूरोप और अफ्रीका कमांडर जनरल क्रिस्टोफर डोनह्यू ने जर्मनी के विस्बाडेन में अमेरिकी सेना संघ के दौरान दी है.
अमेरिका और नाटो के इस रणनीतिक कदम का मुख्य लक्ष्य रूस के खिलाफ नाटो की रक्षा स्थिति को सुदृढ़ करना और विशेष रूप से कलिनिनग्राद जैसे रणनीतिक स्थानों पर रूस के संभावित हमलों का मुकाबला करना है. हालांकि अमेरिका-नाटो के इा रणनीति ने नए विवाद की शुरुआत भी कर दी है, जिससे तीसरे विश्व युद्ध का खतरा पैदा हो गया है.
रूस के कलिनिनग्राद पर कब्जा करने के फिराक में नाटो
अफ्रीका कमांडर जनरल क्रिस्टोफर डोनह्यू ने बताया कि नाटो के पास एक नई योजना है, जिसके तहत वह कलिनिनग्राद, एक रूसी सैन्य किले पर कब्जा कर सकता है. बता दें कि यह क्षेत्र पोलैंड और लिथुआनिया के बीच स्थित है, लेकिन रूस से यह भूमि काफी हद तक कटी हुई है. दरअसल नाटो और पश्चिमी देशों का मानना है कि रूस इस क्षेत्र का इस्तेमाल यूरोप में हमले के लिए कर सकता है. विशेष रूप से, सुवाल्की गैप पर. यह बाल्टिक देशों को नाटो से जोड़ने वाली 60 मील चौड़ी जमीन है, जिसपर रूस के हावी होने की संभावना है.
रूस के खिलाफ हमला: योजना और प्रतिक्रिया
जनरल डोनह्यू ने कहा कि नाटो ने इस क्षेत्र पर कब्जा करने के लिए पहले ही विस्तृत योजना बना ली है. उन्होंने कहा कि “अब, आप कलिनिनग्राद को उतनी तेजी से गिरा सकते हैं, जितना पहले कभी नहीं देखा गया. हमने इसके लिए योजना बना ली है और इस दौरान रूस को रोकने की क्षमता भी विकसित कर ली है.”
हालांकि डोनह्यू के इस बयान के बाद रूस ने भी कड़ी प्रतिक्रिया दी है. दरअसल क्रेमलिन ने इसे एक खतरनाक कदम मानते हुए कड़ी आलोचना की है. रूसी नेताओं का कहना है कि इस तरह के बयान तीसरे विश्व युद्ध को भड़काने के बराबर हैं.
रूस का रुख: तीसरे विश्व युद्ध की आशंका
वहीं, रूस के लेनिनग्राद समिति के अध्यक्ष लियोनिद स्लट्स्की ने चेतावनी देते हुए कहा है कि यदि कलिनिनग्राद पर हमला हुआ, तो यह रूस पर हमला होगा और रूस अपने सभी क़ानूनी उपायों के तहत इसका जवाब देगा, जिसमें परमाणु हमले का विकल्प भी शामिल है.
इसके अलावा, सर्गेई मुराटोव ने कहा है कि रूस अपनी सुरक्षा के लिए किसी भी खतरे का सामना करने को तैयार है, लेकिन इस तरह के संघर्ष में कोई विजेता नहीं होगा. वहीं, कलिनिनग्राद के सांसद आंद्रेई कोलेसनिक ने भी नाटो को चुनौती दी और कहा कि नाटो में इतनी ताकत नहीं है कि वह रूस से सीधे मुकाबला कर सके.
साथ ही सैन्य विशेषज्ञ इवान कोनोवालोव ने भी इस क्षेत्र की सामरिक महत्वता पर जोर दिया. उन्होंने कहा कि कलिनिनग्राद पूरी तरह से रूस के नियंत्रण में है और यह बेहद सुरक्षित है. ऐसे में इस क्षेत्र में किसी भी उकसावे वाली कार्रवाई का विरोध किया जाएगा.
रूस की स्थिरता और बढ़ता वैश्विक तनाव
बता दें कि रूस ने इस स्थिति में अपने आप को एक मजबूत और सुरक्षित क्षेत्र के रूप में स्थापित किया है, जबकि पश्चिमी देशों, खासकर अमेरिका और नाटो, ने अपनी सैन्य शक्ति को बढ़ाने की योजना बनाई है. ऐसे मे रूस का कहना है कि वह यूक्रेन के खिलाफ संघर्ष में मनुष्यता के आधार पर काम कर रहा है, लेकिन नाटो के साथ पूर्ण युद्ध एक अलग मामला होगा.