Russia Tsunami: रूस में बुधवार को आए भूकंप के बाद सुनामी का खतरा बरकरार है. गुरुवार को मॉस्को के तटीय इलाकों में 4 मीटर तक समुद्री लहरें देखी गई. भूकंप के बाद से समुद्र में पूरी तरह से उथल-पुथल मची हुई है. इससे समुद्री जीव भी जल से निकलकर बाहर की ओर आ रहे हैं. वहीं लोगों में दशहत का माहौल है.
मालूम हो कि बुधवार की सुबह रूस के कामचटका प्रायद्वीप में 8.8 तीव्रता का भूकंप आया, जिसके कारण प्रशांत क्षेत्र में सुनामी की चेतावनी जारी की गई तथा बड़े पैमाने पर लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया. इस भूकंप को साल 1952 के बाद अब तक का सबसे शक्तिशाली बताया जा रहा है.
इस देशों में समुद्र में हलचल
रूस में आए भयंकर भूकंप के बाद सुनामी का असर कई देशों में देखने को मिल रहा है. रूस में कुछ जगहों पर 4 मीटर ऊंची लहरें देखी गईं, जबकि जापान, चीन, हवाई और दक्षिण अमेरिका के कुछ हिस्सों में लहरें 30 सेंटीमीटर से 3 मीटर के बीच हो सकती हैं. लेकिन चेतावनी दी गई है कि सुनामी लहरें अचानक तेज हो सकती हैं. वैज्ञानिक का कहना है कि लहरों की ऊंचाई अंतिम समय तक सटीक अनुमान नहीं लगाई जा सकती. तटीय स्थल की भौगोलिक स्थिति और समुद्र की गहराई लहरों को अप्रत्याशित रूप से खतरनाक बना सकती हैं.
समय पर निकासी ज़रूरी
सुनामी के खतरे के मद्देनजर लाखों लोगों को तटीय क्षेत्रों से विस्थापित किया जा चुका है. क्योंकि देर से निकासी से अफरा-तफरी, यातायात जाम और जान का खतरा कई गुना बढ़ जाता है. इसलिए पहले से लोगों को हटाना अधिक सुरक्षित होता है, भले ही खतरा कम दिखाई दे. अगर चेतावनी को अनदेखा किया गया, तो लोग समय पर नहीं निकलते.
बार-बार चेतावनी देना ज़रूरी
यहां यह भी बता दें कि साल 2004 की हिंद महासागर सुनामी में 2.27 लाख से अधिक लोग मारे गए थे. वहीं साल 2011 की जापान सुनामी में, जहां चेतावनी और अभ्यास होने से 20 हजार से कम लोग मारे गए थे. हालांकि जापान जैसे देशों में सुनामी अलार्म, ऊंचे सुरक्षित भवन और सरकारी अभ्यास हैं. अधिकांश विकासशील देशों में ये नहीं हैं, जिससे मौत दर अधिक होती है.
सुनामी चेतावनियों में सुधार कैसे आया?
इससे पहले, भूकंप के स्थान और तीव्रता के आधार पर ही भविष्यवाणियां की जाती थीं, जिसके कारण कई बार गलत सूचनाएं मिलती थीं. अब DART सिस्टम (Deep-ocean Assessment and Reporting of Tsunamis) जैसे सिस्टम से समुद्र की गहराई में दबाव परिवर्तन मापा जाता है, जिससे लहरों की सटीक ऊंचाई और खतरे का अनुमान बेहतर होता है.
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