रूस ने लिया ऑपरेशन स्‍पाइडर वेब का बदला, तिलमिला उठे जेलेंस्की, कहा- यह एक मिलीभगत…

Aarti Kushwaha
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Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)
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Russia-Ukraine War: पिछले तीन साल से चल रहा रूस-यूक्रेन युद्ध अब एक बार फिर से और अधिक आक्रामक होता दिखाई दे रहा है. इसी बीच ताजे मामले में रूस ने यूक्रेन के करीब सभी प्रमुख क्षेत्रों पर 400 से अधिक ड्रोन और 40 से ज्यादा बैलिस्टिक मिसाइलों से हमला किया, जिसमें वोलिन, लविवि, टेरनोपिल, कीव, सुमी, पोल्टावा, खमेलनित्सकी, चर्कासी और चेर्निहिव शामिल हैं.

रूस के इस हमले के बाद यूक्रेन के राष्‍ट्रपति वोलोडिमिर जेलेंस्की ने सोशल मीडिया प्‍लेटफॉर्म एक्‍स पर एक भावनात्मक और आक्रोशित बयान जारी किया. इस दौरान उन्होंने कहा कि यूक्रेनी वायुसेना ने कई मिसाइलों और ड्रोन को गिराने में सफलता पाई, लेकिन तीन आपातकालीन सेवा कर्मचारियों की मौत और 49 लोगों के घायल होने की पुष्टि हो चुकी है. फिलहाल मलबे की सफाई और राहत बचाव अभियान जारी है.

सिर्फ समर्थन से नहीं रुकेगा युद्ध

जेलेंस्की ने रूस पर आरोप लगाते हुए कहा कि मॉस्‍को अपनी नीति नहीं बदल रहा है. वह लगातार आम लोगों को निशाना बना रहा है. ऐसे में यह जंग केवल यूक्रेन का नहीं, मानवता का युद्ध बन चुका है. साथ ही उन्‍होंने ये भी कहा कि रूस को अंतरराष्ट्रीय जवाबदेही के तहत लाना चाहिए. इसके लिए अमेरिका, यूरोप और पूरी दुनिया को अब निर्णायक दबाव बनाना होगा. ऐसे में यदि वैश्विक नेता चुप हैं तो यह भी एक तरह की मिलीभगत है. अब निर्णायक कार्यवाही का समय है सिर्फ समर्थन से युद्ध नहीं रुकेगा.

रूस-यूक्रेन में अंतरराष्ट्रीय भूमिका

दरअसल, यूक्रेन ने शुरूआत में ही यह स्‍पष्‍ट किया था कि वो अकेले लड़ते-लड़ते थक चुका है. ऐसे में उसने नाटो, यूरोपीय संघ, अमेरिका और अन्य सहयोगी देशों से अपेक्षा की है कि वे रूस पर आर्थिक प्रतिबंधों को और कठोर करें, हथियारों और सैन्य संसाधनों की आपूर्ति तेज करें और  राजनयिक स्तर पर दबाव बनाए और रूस को बातचीत के लिए मनाएं.

अब तक यूक्रेन की कई देशो ने की मदद

बता दें कि रूस के खिलाफ जंग में यूक्रेन को कई देशों ने मदद पहुंचाई है. अमेरिका ने लगातार सुरक्षा सहायता पैकेज दिया गया. साथ ही यूरोप ने एडवांस एयर डिफेंस सिस्टम मुहैया कराया. इसके अलावा, नाटो की सीमाओं पर निगरानी बढ़ा दी गई. लेकिन इसके बाद भी यूक्रेन को लगता है कि उन्हें मिलने वाले सहयोग रूस के खिलाफ जारी युद्ध में पर्याप्त नहीं है.

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