Saifullah Kasuri: जम्मू कश्मीर के पहलगाम आतंकी हमले के पीछे कथित मास्टरमाइंड लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) कमांडर सैफुल्लाह कसूरी एक बार फिर से सार्वजनिक रूप से सामने आया. दरअसल, पाकिस्तान के परमाणु परीक्षणों के वार्षिक स्मरणोत्सव यौम-ए-तकबीर के अवसर पर पाकिस्तान मरकज़ी मुस्लिम लीग (पीएमएमएल) द्वारा आयोजित एक रैली में भड़काऊ भाषण दिए गए और भारत विरोधी नारे लगाए गए.
पंजाब प्रांत के कसूर में आयोजित रैली के दौरान सैफुल्लाह कसूरी ने पाकिस्तानी राजनीतिक नेताओं और अन्य वांछित आतंकवादियों के साथ स्टेज शेयर साझा किया. वहीं, इस दौरान उपस्थित लोगों में लश्कर के संस्थापक हाफ़िज़ सईद का बेटा और भारत द्वारा घोषित आतंकवादी तल्हा सईद भी शामिल था.
मेरा नाम पूरी दुनिया में मशहूर
कसूरी ने कहा कि मुझे पहलगाम आतंकी हमले का मास्टरमाइंड बताया गया, अब मेरा नाम पूरी दुनिया में मशहूर है. इसके साथ ही उसने इलाहाबाद में “मुदस्सिर शहीद” के नाम पर एक केंद्र, सड़क और अस्पताल बनाने की योजना की घोषणा की. बता दें कि मुदस्सिर अहमद पहलगाम नरसंहार के बाद भारत के जवाबी ऑपरेशन सिंदूर हमलों में मारे गए कई हाई-प्रोफाइल आतंकवादी गुर्गों में से एक था.
आतंकवादियों की सूची में 32वें स्थान पर सईद
कसूरी के अलावा, इस रैली में मौजूद भारत की सर्वाधिक वांछित आतंकवादियों की सूची में 32वें स्थान पर शामिल तल्हा सईद ने भी जिहादी नारों और “नारा-ए-तकबीर” से भरा एक उग्र भाषण दिया. सूत्रों के मुताबिक, सईद का पीएमएमएल के साथ सार्वजनिक जुड़ाव है, जिसे व्यापक रूप से प्रतिबंधित लश्कर-ए-तैयबा के राजनीतिक मोर्चे के रूप में माना जाता है.
पीएमएमएल ने तेज किया भारत विरोधी बयानबाजी
बता दें कि हाल ही में कुछ दिनों में पीएमएमएल ने भारत विरोधी बयानबाजी तेज कर दी है, इस दौरान वो प्रमुख पाकिस्तानी शहरों-लाहौर, कराची, इस्लामाबाद, फैसलाबाद और अन्य में विरोध प्रदर्शन किए हैं, इसके अलावा, हाफिज सईद की रिहाई की मांग, सिंधु जल संधि को निलंबित करने के लिए भारत पर “जल आक्रामकता” का आरोप लगाया.
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बैन लश्कर-ए-तैयबा
दरअसल, लश्कर-ए-तैयबा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर और पाकिस्तान के भीतर प्रतिबंधित है, लेकिन पीएमएमएल जैसे समूहों ने इसके नेतृत्व को राजनीतिक और वैचारिक प्रासंगिकता बनाए रखने में सक्षम बनाया है. बता दें कि साल 2008 के मुंबई हमलों का मास्टरमाइंड, संयुक्त राष्ट्र द्वारा नामित आतंकवादी हाफ़िज़ सईद को अभी भी पीएमएमएल की गतिविधियों के पीछे वैचारिक शक्ति के रूप में देखा जाता है.
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