Thailand-Cambodia Conflict:थाईलैंड और कंबोडिया के बीच हाल ही शुरू हुआ सीमा विवाद अब जंग का रूप ले चुका है, जिससे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चिंता बढ़ी हुई है. ऐसे में ही संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) ने शनिवार को एक आपात बैठक बुलाई, जिसका विषय ‘अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा के लिए खतरा’ है.
बता दें कि यूनएससी की यह बैठक कंबोडिया के मांग पर बुलाई गई है, जिसे यूएनएससी के सभी 15 सदस्य देशों ने मामले को गंभीरता से लिया. दरअसल, कंबोडिया ने थाईलैंड पर बिना उकसावे के हमला करने और बौद्ध मंदिरों व सीमाई इलाकों को निशाना बनाने का आरोप लगाया है. उसका कहना है कि थाई सेना ने जानबूझकर पहले गोलीबारी की और पहले से तय सीमा समझौतों का उल्लंघन किया. जबकि थाईलैंड ने संयुक्त राष्ट को पत्र भेजकर यह स्पष्ट किया है कि संघर्ष की शुरुआत कंबोडिया ने की थी और उसके सैनिकों ने थाई क्षेत्र में गोलीबारी की.
सीमा पर बढ़ते तनाव से लाखों लोग प्रभावित
थाईलैंड की स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक, देश में कंबोडियाई हमले से अब तक 1.3 लाख से अधिक लोग प्रभावित हुए है, जो सुरक्षित स्थानों की ओर पलायन कर चुके हैं. साथ ही 15 लोगों की मौत भी हुई है. जबकि कंबोडिया में भी हजारों लोग घर छोड़ने पर मजबूर हुए हैं. इसके अलावा, दोनों देशों नब अपने राजदूतों को भी वापस बुला लिया है और कई सीमा चौकियों को बंद कर दिया गया है.
आसियान और विश्व नेताओं की अपील
वहीं, मलेशिया के प्रधानमंत्री व वर्तमान में आसियान के अध्यक्ष अनवर इब्राहिम ने दोनों देशों से बातचीत करने की अपील की है और मध्यस्थता की पेशकश की है. इसके अलावा, अमेरिका, चीन, जापान और फ्रांस जैसे देशों ने भी दोनों पक्षों से संयम बरतने और कूटनीतिक समाधान अपनाने की मांग की है.
प्राचीन मंदिरों को लेकर पुराना विवाद
बता दें कि थाईलैंड और कंबोडिया के बीच 800 किलोमीटर लंबी सीमा पर दशकों से विवाद चला आ रहा है, जिसका केंद्र प्राचीन हिंदू मंदिर ‘प्रसात ता मुएन थोम’ और ‘प्रेह विहेयर’ है. इससे पहलें साल 2011 में भी ऐसे ही एक संघर्ष में 16 लोगों की जान चली गई थी और तब भी UNSC ने निजी बैठक कर हस्तक्षेप किया था.
दोनों देशों के बीच शांति में आसियान निभा सकता है महत्वपूर्ण भूमिका
वहीं, इस ताजे मामले में 16 और 23 जुलाई को हमले के दौरान थाई सैनिकों के घायल होने और सीमा पर बारूदी सुरंगों के फटने से हालात और बिगड़े हैं. हालांकि कंबोडिया के प्रधानमंत्री ने 24 जुलाई से संघर्षविराम की बात कही थी, लेकिन थाईलैंड ने उसपर अमल से इनकार कर दिया.ऐसे में दोनों देश कूटनीतिक दबाव और अंतरराष्ट्रीय निगरानी के बीच हैं. जानकारों के मुताबिक, आने वाले दिनों में दोनों देशों के बीच शांति की दिशा में आसियान की महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है.
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