Donald Trump को मिली बड़ी जीत, अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने घटाई जिला न्यायाधीशों की ताकत

Divya Rai
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US Supreme Court Big Decision: अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया है कि जिला न्यायाधीशों के पास ट्रंप प्रशासन के उस कार्यकारी आदेश के खिलाफ देशव्यापी स्थगन (नेशनवाइड इंजेक्शन) जारी करने का अधिकार नहीं है, जिसका उद्देश्य जन्म आधारित नागरिकता को प्रभावी रूप से समाप्त करना है. इस तरह कोर्ट ने जिला न्यायाधीशों की ताकत को घटा दिया है जिसे राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ‘बड़ी जीत’ बताया है.

तीन उदारवादी न्यायाधीशों ने जताई असहमति

‘सिन्हुआ समाचार एजेंसी’ के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों ने वैचारिक आधार पर हुए 6-3 के मत विभाजन में, ट्रंप प्रशासन के उस अनुरोध को मंजूरी दे दी, जिसमें जिला न्यायाधीशों के लगाए गए देशव्यापी स्थगनों के दायरे को सीमित करने की बात कही गई थी. न्यायमूर्ति एमी कोनी बैरेट ने बहुमत के लिए लिखा, “फेडरल कोर्ट कार्यकारी शाखा की सामान्य निगरानी नहीं करती. जब कोई अदालत यह निष्कर्ष निकालती है कि कार्यकारी शाखा ने अवैध रूप से कार्य किया है, तो इसका समाधान यह नहीं है कि अदालत भी अपने अधिकार क्षेत्र से आगे बढ़ जाए.” हालांकि, तीन उदारवादी न्यायाधीशों ने इस फैसले पर असहमति जताई है.

जस्टिस सोनिया सोटोमोर ने कही ये बात

जस्टिस सोनिया सोटोमोर ने कहा, “संयुक्त राज्य अमेरिका में जन्मे और इसके कानूनों के अधीन रहने वाले बच्चे संयुक्त राज्य अमेरिका के नागरिक हैं. यह स्थापना के समय से ही कानूनी नियम रहा है.” उन्होंने यह भी उल्लेख किया, “इस अनुरोध में रणनीति स्पष्ट रूप से झलक रही है और सरकार इसे छिपाने का कोई प्रयास नहीं कर रही है. बहुमत यह पूरी तरह नजरअंदाज कर देता है कि राष्ट्रपति का कार्यकारी आदेश संवैधानिक है या नहीं, और इसके बजाय केवल इस बात पर ध्यान देता है कि क्या फेडरल कोर्ट्स के पास सार्वभौमिक स्थगन जारी करने का न्यायिक अधिकार है.”

ट्रंप प्रशासन ने की फैसले की सराहना

ट्रंप प्रशासन ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले की सराहना की है. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ‘ट्रुथ’ पर इस फैसले को ‘बड़ी जीत’ बताया. उन्होंने व्हाइट हाउस में कहा कि यह फैसला संविधान के लिए एक बड़ी जीत है. अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वेंस ने ‘एक्स’ पर लिखा, “सुप्रीम कोर्ट का एक बड़ा फैसला, देशव्यापी निषेधाज्ञा की हास्यास्पद प्रक्रिया को खत्म करना. हमारी प्रणाली के तहत, सभी को कानून का पालन करना होता है, जिसमें न्यायाधीश भी शामिल हैं!”

कार्यकारी आदेश पर किए थे हस्ताक्षर

20 जनवरी को पदभार ग्रहण करने के कुछ ही घंटों बाद ट्रंप ने इस कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर किए थे. इस आदेश में फेडरल एजेंसी को निर्देश दिया गया कि वह 19 फरवरी के बाद जन्मे उन बच्चों को नागरिकता की मान्यता न दें, जिनके माता-पिता में से कोई भी न तो अमेरिकी नागरिक है, और न ही स्थायी निवासी. 20 से अधिक राज्यों और नागरिक अधिकार समूहों ने तुरंत आदेश को चुनौती देते हुए मुकदमे दायर किए, इसे स्पष्ट रूप से ‘असंवैधानिक’ बताया गया.

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