World Bamboo Day: विश्व बांस दिवस आज, क्‍यों होता है यह खास? जानें इसका इतिहास

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World Bamboo Day 2023प्रत्‍येक वर्ष पूरी दुनिया में 18 सितंबर को विश्‍व बांस दिवस  (World Bamboo Day) मनाया जाता है। इसका उद्देश्‍य बांस से जुड़े फायदों के बारे में जागरूकता बढ़ाने और रोजाना प्रयोग में आने वाले उत्पादों में इसके इस्तेमाल को बढ़ावा देना है। घास प्रजाति का सबसे तेजी से बढ़ने के साथ ही सबसे बड़ा पौधा है बांस। यह एक प्राकृतिक वनस्पति है जो सबसे अधिक गर्म उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय भागों में पाया जाता है। इसका साइंटिफिक नाम बम्बूसाइडी है। पूरी दुनिया में सबसे अधिक बांस दक्षिण-पूर्व एशिया में पाया जाता है। इसका इस्तेमाल किसी ना किसी रूप में फर्नीचर या बैग, कपड़े आदि में काफी समय से होता आ रहा है। तो चलिए आज इसके बारे में विस्‍तार से जानते हैं।  

इसका इतिहास

साल 2009 में विश्व बांस संगठन ने पहली बार हर साल 18 सितंबर को बांस दिवस मनाने की घोषणा की थी। विश्व बांस संगठन पूरी दुनिया में बांस की खेती, इससे जुड़े उद्योगों को प्रोत्साहित करने तथा इसके विस्तार के लिए काम करती है। इस संगठन की स्थापना साल 2005 में हुई थी और इसका मुख्यालय एंटवर्प (बेल्जियम) में है। दुनिया भर में कई ऐसे क्षेत्र हैं, जहां नये उद्योगों के लिए बांस की खेती को बढ़ावा दिया जाता है ताकि सामुदायिक रूप से इस ओर आर्थिक विकास किया जा सके। इसके साथ ही बांस से जुड़े पारम्परिक उद्योगों को बढ़ावा देना भी है। बांस का जंगली जानवर पांडा और इंसानों के जीवन के लिए भी बहुत महत्व है।

बांस होता है बेहद खास
-बैंबू को गरीब लोगों का टिंबर या ग्रीन गोल्ड भी कहा जाता है। यह प्राकृतिक रूप से कहीं भी उग सकता है। नॉर्थ ईस्ट इंडिया में लगभग बांस की 110 वैरायटी है। बैंबू मृदा संरक्षण में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, क्योंकि बाढ़ के समय यह मिट्टी यानी मृदा को पकड़ के रखता है। इसमें कार्बन डाइऑक्साइड को अवशोषित करने की क्षमता किसी दूसरे पौधों के मुकाबले अधिक होती है। इसके साथ साथ यह ऑक्सीजन भी अधिक उत्पन्न करता है। बांस को गरीब की लकड़ी भी कहा जाता है क्योंकि दक्षिण- पूर्व एशिया की एक बड़ी आबादी बांस और इससे जुड़े व्यवसाय पर निर्भर है। इसके उत्पादन लागत काफी कम होती है और यह बहुत तेजी से बढ़ता है। बांस का पेड़ बंजर भूमि या खराब भूमि के लिए भी सुधारक का काम करता है।

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