दिवाली की रात तांत्रिक क्‍यों देते हैं मां लक्ष्‍मी के वाहन उल्लू की बलि?

Must Read

Owl’s Sacrifice on Diwali: दिवाली के त्‍योहार पर एक तरफ जहां पूरा देश जगमगाता है तो वहीं उल्लूओं के जीवन पर खतरा मंडराने लगता है. जी हां, दिवाली की रात यूपी समेत देश के कई राज्‍यों में तांत्रिक लोग अपनी अनोखी साधना में उल्‍लूओं की बलि देते हैं. उल्‍लूओं का बलिदान देकर सिद्धि प्राप्‍त करते हैं. कहा जाता है कि ऐसी ही कई प्रकार की किंवदंतियों का वर्णन तंत्र-सिद्धि संबंधी बहुत से ग्रंथों में मिलता है।

उल्‍लुओं की होती है होम डिलीवरी

लक्ष्मी का सर्वप्रिय वाहन उल्लू है, परन्तु इसकी भद्दी सूरत एवं अनेक अप्रिय आचरणों के कारण लोग इससे घृणा करते हैं.  वहीं कुछ का मानना है कि अगर दिवाली के दिन लक्ष्मी पूजा के दौरान घर में उल्लू की बलि चढ़ाई जाती है तो देवी हमेशा के लिए परिवार के साथ रहती हैं. वन्यजीव एक्टिविस्टों के मुताबिक, आगरा जैसे कुछ शहरों में उल्लू की होम डिलिवरी भी की जाती है. दिवाली के समय में इनकी कीमत 30 से 50 हजार रुपये तक पहुंच जाती है. अंधविश्वास के कारण इन पक्षियों के शरीर के अंगों जैसे हड्डी, पंख, मीट और खून की भी डिमांड होती है. इनका इस्‍तेमाल काला जादू और दवाएं बनाने के लिए किया जाता है.

सुख-संपदा बनी रहने की है मान्‍यता

धार्मिक मान्‍यता केवल एक ही है कि लक्ष्मी पूजा की रात उल्लू की बलि देने से अगले साल सुख-संपदा बनी रहेगी. जयपुर, अलवर और मथुरा के पास कोसी कलां इसके लिए कुख्यात है. बहेलिये दिवाली से पहले ही इस काम में लग जाते हैं. उल्लू के शरीर के हर अंग की कीमत पहले से ही तय की जाती है.

जानकारी के अनुसार, उल्लू की बलि देने वाले तांत्रिक उसे पहले शराब पिलाते हैं. उसके बाद उनकी बलि दी जाती है. दिवाली से करीब दो महीने पहले ही चुपके से लोग उल्लू की खरीदारी शुरू कर देते हैं. दिवाली तक इनकी खरीद बि‍क्री जारी रहता है.

उत्‍तराखंड में हर साल अलर्ट जारी

हालांकि ज्यादातर लोग मां लक्ष्मी के वाहन उल्लू का आशीर्वाद पाने की कामना करते हैं. लेकिन तांत्रिक, काला जादू और अंधविश्वास के कारण बड़ी संख्या में उल्लूओं की बलि दी जाती है. उत्तराखंड में हर साल उल्लूओं की निगरानी के लिए वन विभाग की ओर से अलर्ट जारी किया जाता है. इनके लिए फील्ड स्टाफ की छुट्टियां भी कैंसल कर दी जाती हैं. उन्हें जंगलों में पेट्रोलिंग बढ़ाने का आदेंश दिया जाता है.

आमतौर पर जो लोग मांसाहारी हैं वो भी उल्लू का मांस खाने के बारे में नहीं सोचते. लेकिन काला जादू और अंधविश्वास के चक्कर में उल्लुओं की बलि की प्रथा बहुत पहले से ही चलते आ रही है. बताया जाता है कि जयपुर, मेरठ से 300-400 रुपये के उल्लू खरीदकर लाने वाले लोग दिल्ली में 30 से 50 हजार में इनको बेचते हैं.

ये भी पढ़ें:-   Govardhan Puja: ब्रज में क्‍यों खास होता है अन्‍नकूट महोत्‍सव, जानिए गोवर्धन पूजा का सही दिन और समय

Latest News

29 September 2025 Ka Panchang: सोमवार का पंचांग, जानिए शुभ मुहूर्त और राहुकाल का समय

29 September 2025 Ka Panchang: हिंदू धर्म में किसी भी कार्य को करने से पहले शुभ और अशुभ मुहूर्त...

More Articles Like This