SC ने अदालतों में लंबित चेक बाउंस को लेकर जाहिर की चिंता, इस शख्स की सजा रद्द

Shivam
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Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)
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Supreme Court on Cheque Bounce: सुप्रीम कोर्ट ने देश भर की अदालतों में बड़ी संख्या में लंबित चेक बाउंस के मामले में चिंता जाहिर की है. सुप्रीम कोर्ट ने एक याचिका पर सुनवाई के दौरान कहा, यह देशभर की अदालतों में बड़ी संख्या में लंबित चेक बाउंस के मामले यह हमारी न्याय प्रणाली के लिए चिंता का विषय है. जस्टिस सुधांशु धूलिया और अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की पीठ ने पी. कुमारस्वामी नाम के एक व्यक्ति की सुनाई गई सजा को रद्द कर दिया.

5.25 लाख रुपये का चेक बाउंस

कोर्ट को जब यह जानकारी दी गई कि शिकायतकर्ता के बीच समझौता हो गया है और शिकायतकर्ता को 5.25 लाख का भुगतान कर दिया गया है. कोर्ट का मानना है कि निगोशिएबल इंस्टूमेंट एक्ट के तहत बनने वाले प्रामिसरी नोट से बिलों का आदान-प्रदान और चेक का लेन देन होता है. अदालत के बाहर सुलझाए जाने वाले अपराध वह है जिसमें पक्ष और प्रतिपक्ष के बीच समझौता होना संभव है.

अपीलकर्ता बरी

बता दें, कुमारस्वामी उर्फ गणेश ने 5.25 लाख रुपये ए. सुब्रमण्यम से लिये थे, लेकिन उसे वापस नही लौटाया. बाद में कुमारस्वामी ने उसे 5.25 लाख रुपये का चेक दिया, लेकिन बाउंस हो गया. कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि परिस्थितियों की समग्रता और पक्षों के बीच समझौता पर विचार करते हुए, हम इस अपील को स्वीकार करते हैं तथा एक अप्रैल 2019 के लागू आदेश के साथ-साथ निचली अदालत के 16 अक्टूबर 2012 के आदेश को रद्द करके अपीलकर्ताओं को बरी करते है.

अपीलकर्ताओं को दोषी ठहराते हुए निचली अदालत ने एक साल के करावास की सजा सुनाई. कुमारस्वामी ने दोष सिद्धि को चुनौती दी. उसने निचली अदालत के फैसले को पलट दिया. इसके साथ ही कोर्ट ने उसे तथा कंपनी को बरी कर दिया, लेकिन बाद में हाईकोर्ट ने अपीलीय अदालत के आदेश को रद्द कर दिया और अपीलकर्ताओं को दोषी ठहराने के निचली अदालत के आदेश को बहाल करने का आदेश दिया था.

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