कमला हैरिस ने फिर याद किए बचपन के दिन, बोलीं- ‘मां ने मुझे और बहन को विरासत की सराहना और सम्मान करना सिखाया’

Shivam
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Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)
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US Presidential Election 2024: 5 नवंबर को अमेरिका में राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव होना है. ऐसे में रिपब्लिकन की ओर से डोनाल्ड ट्रंप और डेमोक्रेटिक की ओर से कमला हैरिस चुनावी मैदान में हैं. जैसे जैसे चुनाव की तारीख नजदीक आ रही है, वैसे-वैसे राष्ट्रपति पद के उम्मीदवारों के बीच जुबानी जंग तेज होते जा रहे हैं. इस बीच,  एक संपादकीय में कमला हैरिस ने बचपन में अपनी बार-बार भारत यात्रा और अपनी मां के कैंसर के इलाज के दिनों को याद किया.  कमला हैरिस ने ऑनलाइन दक्षिण एशियाई प्रकाशन ‘द जैगरनॉट’ के लिए लिखे संपादकीय में कहा, ‘बड़े होते हुए मां ने मेरी बहन और मुझे हमारी विरासत की सराहना और सम्मान करना सिखाया. लगभग हर दूसरे साल हम दिवाली मनाने के लिए भारत जाते थे. हम अपने दादा-दादी, चाचाओं और भाई-बहनों के साथ समय बिताते थे.’

अमेरिका में दिवाली समारोह की मेजबानी करना मेरे लिए सम्मान की बात

कमला हैरिस ने आगे कहा, ‘उपराष्ट्रपति के तौर पर अपने घर में दिवाली समारोह की मेजबानी करना मेरे लिए सम्मान की बात है. न केवल छुट्टियां मनाने के लिए, बल्कि दक्षिण एशियाई अमेरिकी प्रवासियों के समृद्ध इतिहास, संस्कृति और विरासत का जश्न मनाने के लिए, जो अमेरिका के वादे में संभावना और विश्वास की साझा भावना से एक साथ बंधे हैं.’  अपने लेख में उन्‍होंने आगे कहा, 19 साल की उम्र में उनकी मां श्यामला हैरिस ने अकेले ही दुनिया पार की (भारत से संयुक्त राज्य अमेरिका की यात्रा की). मेरी माँ के जीवन में दो लक्ष्य थे. पहला अपनी दो बेटियों यानी मेरी बहन माया और मुझे पालना तथा दूसरा स्तन कैंसर का इलाज करवाना.

कमला हैरिस दादा के साथ जाती थीं सैर करने

उपराष्ट्रपति कमला हैरिस ने कहा, ‘जब हम छोटे पर भारत जाते थे, तब हम अपने दादा पीवी गोपालन से भी मिलते थे. मेरे दादा एक सेवानिवृत्त सिविल सेवक थे. वह सुबह उठकर सबसे पहले अपने सेवानिवृत्त दोस्तों के साथ समुद्र तट पर लंबी सैर करने जाते थे. मैं भी उनके साथ सैर पर जाती थी. इस दौरान उनसे लोकतंत्र और नागरिक अधिकारों के लिए लड़ने के महत्व के बारे में कहानियां सुनती थीं. इन सैरों के दौरान, मुझे याद है कि मेरे दादाजी ने मुझे न केवल लोकतंत्र का मतलब. बल्कि, लोकतंत्र को बनाए रखने के बारे में सिखाया था. इसी से सबसे पहले सार्वजनिक सेवा में मेरी रुचि जगी. वे आज भी मेरा मार्गदर्शन कर रहे हैं.’

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