ISRO के पूर्व प्रमुख कृष्णास्वामी कस्तूरीरंगन के निधन पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और PM मोदी ने जताया दुख

Shivam
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Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)
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Former ISRO Chief K Kasturirangan: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के पूर्व अध्यक्ष कृष्णस्वामी कस्तूरीरंगन का शुक्रवार, 25 अप्रैल को निधन हो गया. कृष्णस्वामी कस्‍तूरीरंगन ने 84 वर्ष की आयु में बेंगलुरु स्थित अपने आवास पर करीब 10 बजे अंतिम सांस ली. रविवार को अंतिम संस्कार से पहले रमन रिसर्च इंस्टीट्यूट में उनके पार्थिव शरीर को अंतिम दर्शन के लिए रखा जाएगा. कृष्णास्वामी कस्तूरीरंगन के निधन पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दुख जताया है. कृष्णास्वामी कस्तूरीरंगन सबसे लंबे वक्त तक इसरो चीफ के पद पर कार्यरत रहे हैं.

राष्ट्रपति मुर्मू ने कृष्णास्वामी कस्तूरीरंगन के निधन पर जताया दुख

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू (Draupadi Murmu) ने सोशल मीडिया मंच एक्‍स पर पोस्‍ट कर लिखा, यह जानकर दुख हुआ कि डॉ. कृष्णास्वामी कस्तूरीरंगन अब हमारे बीच नहीं रहे. इसरो के प्रमुख के रूप में उन्होंने भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. ज्ञान के प्रति अपने जुनून के साथ, उन्होंने विविध क्षेत्रों में भी बहुत योगदान दिया. उन्होंने राष्ट्रीय शिक्षा नीति का मसौदा तैयार करने में मदद की, जो पहले से ही अगली पीढ़ी के निर्माण पर गहरा प्रभाव डाल रही है. उनके परिवार और प्रशंसकों के प्रति मेरी संवेदनाएं.

पीएम मोदी ने भी कृष्णास्वामी कस्तूरीरंगन के निधन पर जताया दुख

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने सोशल मीडिया मंच एक्स पर कृष्णास्वामी कस्तूरीरंगन से मुलाकात की पुरानी तस्‍वीर शेयर करते हुए लिखा, मैं भारत की वैज्ञानिक और शैक्षिक यात्रा में एक महान व्यक्तित्व डॉ. के. कस्तूरीरंगन के निधन से बहुत दुखी हूं. उनके दूरदर्शी नेतृत्व और राष्ट्र के प्रति उनके निस्वार्थ योगदान को हमेशा याद रखा जाएगा. उन्होंने इसरो में कड़ी लगन से काम किया और भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया, जिसके लिए हमें वैश्विक मान्यता भी मिली. उनके नेतृत्व में महत्वाकांक्षी उपग्रह प्रक्षेपण भी हुए और नवाचार पर ध्यान केंद्रित किया गया.

पीएम मोदी ने आगे लिखा, राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) के प्रारूपण के दौरान और भारत में शिक्षा को अधिक समग्र और दूरदर्शी बनाने के लिए डॉ. कस्तूरीरंगन के प्रयासों के लिए भारत हमेशा उनका आभारी रहेगा. वे कई युवा वैज्ञानिकों और शोधकर्ताओं के लिए एक उत्कृष्ट मार्गदर्शक भी थे। मेरी संवेदनाएं उनके परिवार, छात्रों, वैज्ञानिकों और अनगिनत प्रशंसकों के साथ हैं.
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