भारत अब सिर्फ़ उभरता हुआ कार बाज़ार नहीं रह गया है, बल्कि वैश्विक ऑटोमोबाइल उद्योग का एक प्रमुख उत्पादन केंद्र बनता जा रहा है. हाल ही में जारी किए गए आंकड़े बताते हैं कि भारत में निर्मित 6 कार मॉडल ऐसे हैं, जो घरेलू बाज़ार से ज़्यादा अंतर्राष्ट्रीय बाज़ारों में बिक रहे हैं. इनमें होंडा की सिटी और एलिवेट, निसान की सनी और मैग्नाइट, हुंडई की वर्ना और जीप की मेरिडियन शामिल हैं.
सोसाइटी ऑफ़ इंडियन ऑटोमोबाइल मैन्युफैक्चरर्स (सियाम) के मुताबिक, यह बदलाव दो मुख्य कारणों से हो रहा है. एक, भारत में इन मॉडलों की मांग उम्मीद से कम रही और दूसरा, कंपनियों ने वैश्विक बाज़ारों में इनकी क्षमता को पहचाना और वहाँ अपना ध्यान बढ़ाया. उदाहरण के लिए, होंडा एलिवेट को भारत में सितंबर 2023 में लॉन्च किया गया, लेकिन इसकी घरेलू बिक्री सुस्त रही. इसके बावजूद, FY25 में एलिवेट की 45,167 यूनिट निर्यात की गईं, जबकि घरेलू बिक्री सिर्फ़ 22,321 यूनिट तक सीमित रही.
हुंडई वर्ना की मांग
कुछ ऐसा ही हुंडई वर्ना के साथ भी हुआ. भारत में सेडान की घटती मांग के कारण वर्ना को अपेक्षित सफलता नहीं मिली, लेकिन मध्य पूर्व, अफ्रीका और लैटिन अमेरिका जैसे क्षेत्रों में इसकी लोकप्रियता ने हुंडई को बड़ा निर्यात आधार प्रदान किया। वित्त वर्ष 25 में वर्ना की 50,000 से अधिक इकाइयों का निर्यात किया गया.
निसान मैग्नाइट की मांग
इसी तरह निसान की मैग्नाइट और जीप मेरिडियन ने भी अंतरराष्ट्रीय बाजारों में अच्छा प्रदर्शन किया. कंपनियों ने उत्पादन को बनाए रखने और आपूर्तिकर्ताओं के साथ अनुबंधों को पूरा करने के लिए निर्यात को अपनी रणनीति का हिस्सा बनाया है. यह रुझान दर्शाता है कि भारत का ऑटो सेक्टर अब केवल घरेलू मांग पर निर्भर नहीं है. मेक इन इंडिया पहल के तहत भारत वैश्विक उत्पादन और निर्यात केंद्र के रूप में उभर रहा है. इससे देश को विदेशी मुद्रा में लाभ होगा और ऑटो सेक्टर से जुड़े रोजगार और निवेश के अवसर भी बढ़ेंगे.