Buddha Purnima 2025: भगवान बुद्ध के वो शानदार उपदेश, जो सिखाएंगे जिंदगी जीने का तरीका

Divya Rai
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Content Writer The Printlines (Part of Bharat Express News Network)
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Buddha Purnima 2025: वैशाख माह की पूर्णिमा तिथि के दिन बुद्ध पूर्णिमा मनाई जाती है. इस दिन बौद्ध धर्म के संस्थापक गौतम बुद्ध की जयंती भी मनाई जाती है. हिंदू धर्म में गौतम बुद्ध को विष्णु जी का अवतार माना जाता है. गौतम बुद्ध ने दुनिया को आर्य सत्यों का उपदेश दिया था. ऐसे में बौद्ध धर्म के लोग बुद्ध पूर्णिमा के दिन गौतम बुद्ध के बताए उपदेशों पर चलने की कसम खाते हैं. इस साल 12 मई यानी आज गौतम बुद्ध की जयंती मनाई जा रही है. इस खास मौके पर जानिए गौतम बुद्ध के कुछ ऐसे उपदेश, जो आपकी जिंदगी बदल देंगे…

गौतम बुद्ध के उपदेश (Buddha Purnima 2025)

  • मनुष्य को क्रोध की सजा नहीं मिलती, बल्कि क्रोध से सजा मिलती है.
  • जीवन में अगर शांति और खुशी चाहिए, तो मनुष्य को भूतकाल और भविष्य काल में नहीं उलझना चाहिए.
  • सूर्य, चंद्र और सत्य… ये तीन चीजें कभी नहीं छिप सकती.
  • हजारों लड़ाइयों के बाद भी मनुष्य तब तक नहीं जीत सकता, जब तक वह अपने ऊपर विजय प्राप्त नहीं कर लेता है.
  • मनुष्य को अपने लक्ष्य को प्राप्त करने से अधिक अपनी यात्रा पर ध्यान देना चाहिए. जैसे हजारों शब्दों से एक अच्छा शब्द जो शांति प्रदान करता हो.
  • सत्य की राह पर चलने वाला मनुष्य दो ही गलतियां कर सकता है, या तो पूरा रास्ता तय नहीं करता या फिर शुरुआत ही नहीं करता.
  • बुराई से बुराई खत्म नहीं होती. बुराई को प्रेम से ही खत्म किया जा सकता है.
  • एक​ दीपक से हजारों दीपक जल सकते हैं, फिर भी दीपक की रोशनी कम नहीं होती. इस तरह किसी की बुराई से आपकी अच्छाई कम नहीं हो सकती.
  • गुस्सा होने का मतलब जलता हुआ कोयला दूसरे पर फेंकना, जो पहले स्वयं के हाथों को ही जलाता है.
  • जीवन में खुशियां बांटने से बढ़ती हैं. इसलिए मनुष्य को हमेशा खुश रहना चाहिए और दूसरों को भी खुशियां देनी चाहिए.
  • क्रोध मनुष्य का सबसे बड़ा दुश्मन होता है, हमेशा क्रोध में रहना, गर्म कोयले को किसी दूसरे पर फेंकने के लिए पकड़े रहने के सामान होता है, इसमें हमारा हाथ भी जलता है.
  • किसी के प्रति नफरत और ईर्ष्या रखने से जीवन में कोई भी खुशी नहीं प्राप्त की जा सकती, ईर्ष्या व्यक्ति के मन की शांति को खत्म कर देती है.
  • अज्ञानी व्यक्ति से कभी भी उलझना और बहस नहीं चाहिए, अज्ञानी व्यक्ति बैल के समान होता है, वह ज्ञान में नहीं, सिर्फ आकार में बड़ा दिखता है.
  • शक से हमेशा बचना चाहिए, बेवजह किसी पर कभी भी शक नहीं करना चाहिए, शक लोगों को अलग कर देता है.
  • न ही सुख स्थायी और न ही दुख, बुरा समय आने पर उसका डटकर सामना करना चाहिए और हमेशा रोशनी की तलाश करनी चाहिए.
  • जीवनभर बिना ध्यान के साधना करने की अपेक्षा जीवन में एक दिन समझदारी से जीना कहीं अच्छा है.
  • जो बुरा समय बीत गया हो उसको याद नहीं करना चाहिए, भविष्य के लिए सपने नहीं देखना चाहिए, बल्कि वर्तमान में ही ध्यान केंद्रित करना चाहिए.
  • व्यक्ति अपने अच्छे और बुरे स्वास्थ्य का जिम्मेदार स्वयं होता है, इसीलिए खान-पान और दिनचर्या का ध्यान रखना चाहिए.
  • जैसे मोमबत्ती बिना आग के नहीं जल सकती, वैसी ही मनुष्य भी आध्यात्मिक जीवन के बिना नहीं जी सकता.

(अस्वीकरण: इस लेख में दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और विभिन्न जानकारियों पर आधारित है. ‘The Printlines’ इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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