अनुकूल मौसम की स्थिति के कारण अगले छह महीनों में मुद्रास्फीति औसतन 2.5% रहने का अनुमान है. सोमवार को जारी एचएसबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले तीन वर्षों से उच्च आधार प्रभाव और मजबूत अनाज उत्पादन के कारण भारत में खाद्य मुद्रास्फीति लंबे समय तक कम रहने की उम्मीद है. एचएसबीसी ग्लोबल इन्वेस्टमेंट रिसर्च (HSBC Global Investment Research) अपनी रिपोर्ट में कहा कि मजबूत भारतीय रुपए, कमोडिटी की गिरती कीमतें, चीन से आयातित मुद्रास्फीति और एक साल पहले की तुलना में कम वृद्धि के कारण कोर मुद्रास्फीति भी नियंत्रित बनी हुई है.
इन सभी कारकों को देखते हुए वित्त वर्ष 2026 में मुद्रास्फीति औसतन 3.2% हने की उम्मीद है. FY25 भारत के अन्न भंडारों के लिए मजबूत नोट पर समाप्त हुआ, जिसमें मजबूत अनाज उत्पादन ने पर्याप्त स्टॉक स्तर सुनिश्चित किया. इस प्रचुरता से निकट भविष्य में अनाज मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने में मदद मिलने की उम्मीद है. रिपोर्ट में कहा गया है कि वित्त वर्ष 2026 में बारिश, जलाशयों का स्तर और बुआई मायने रखेगी। वर्तमान में, वर्षा का स्तर सामान्य से 9% अधिक है, जो पिछले तीन वर्षों में हुई बारिश से बहुत अधिक है.
क्षेत्रवार, उत्तर-पश्चिम और मध्य भारत में सबसे ज्यादा बारिश हुई है. IMD को उम्मीद है कि अगले कुछ दिनों में पूरे देश में बारिश होगी. रिपोर्ट में कहा गया है, अच्छी बारिश से न केवल गर्मियों की बुआई को फायदा होता है, बल्कि जलाशयों को भरने में भी मदद मिलती है, जो अस्थायी रूप से बारिश रुकने की स्थिति में बफर प्रदान करते हैं और सर्दियों की बुआई के मौसम में सिंचाई का भी समर्थन करते हैं. वर्तमान में, जलाशयों का स्तर पिछले साल के स्तर के साथ-साथ सामान्य भंडारण स्तरों से भी अधिक है, जिसमें दक्षिणी क्षेत्र विशेष रूप से अच्छा प्रदर्शन कर रहा है.
अभी भी मौसम के शुरुआती दिन हैं, लेकिन अब तक बुआई अच्छी चल रही है. 20 जून तक, अब तक कुल बुवाई क्षेत्र लगभग 14 मिलियन हेक्टेयर है, जो पिछले वर्ष की तुलना में 10% अधिक है. चावल, दालों और अनाज के तहत बुवाई क्षेत्र पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में बढ़ा है. हालांकि, तिलहन की बुवाई अब तक अपेक्षाकृत कमजोर रही है. रिपोर्ट के मुताबिक, बुवाई की मजबूत गतिविधि कृषि श्रमिकों की मांग और उनके वेतन परिदृश्य के लिए एक अच्छा संकेत है. पहले से ही कृषि श्रमिकों के लिए नॉमिनल वेतन वृद्धि अप्रैल में 8% चल रही है, जो कि पहले 6.5% थी.
रिपोर्ट में कहा गया है, इसके अलावा, मुद्रास्फीति में गिरावट वास्तविक मजदूरी को बढ़ावा देने में मदद कर रही है. हमारा मानना है कि इससे आने वाले महीनों में बड़े पैमाने पर खपत को बढ़ावा मिलेगा.