Delhi Fuel Ban Policy : बीते 1 जुलाई 2025 से राजधानी में दिल्ली सरकार ने ‘नो फ्यूल फॉर ओल्ड व्हीकल पॉलिसी’ लागू कर दी है, इसका मतलब है कि 10 साल से पुराने डीजल और 15 साल से पुराने पेट्रोल वाहनों को राज्य के किसी भी पेट्रोल पंप से फ्यूल नहीं दिया जा रहा है.
बता दें कि राजधानी में वायु प्रदूषण कम करने के लिए यह फैसला लिया गया है. लेकिन अब यह फैसला विवादों में घिरता नजर आ रहा है. इस मामले को लेकर लोग सोशल मीडिया पर अपना विरोध दर्ज करा रहे हैं.
इस नीति पर उठाया सवाल
बीते समय में भारतीय वायुसेना पायलट रह चुके संजीव कपूर ने भी इस नियम पर सवाल उठाए हैं. इस दौरान सोशल मीडिया एक्स प्लेटफॉर्म पर पोस्ट करते हुए लिखा कि “हम अभी भी 40 साल पुराने विमान उड़ा रहे हैं और कई ट्रेनें, बसें और नावें 30 साल से ज्यादा पुरानी हैं. तो फिर निजी वाहनों पर ही प्रतिबंध क्यों?”
किसी भी पेट्रोल पंप से नहीं मिलेगा फ्यूल
जानकारी के मुताबिक, इस नई नीति के लागू के दौरान दिल्ली सरकार का कहना है कि 1 जुलाई 2025 से 10 साल से पुराने डीजल और 15 साल से पुराने पेट्रोल वाहनों को दिल्ली में किसी भी पेट्रोल पंप से फ्यूल नहीं मिलेगा. ऐसे में इस आदेश को प्रभावी ढंग से लागू करने के लिए राजधानी के सभी प्रमुख पेट्रोल पंपों पर पुलिस, ट्रांसपोर्ट डिपार्टमेंट, MCD और CAQM की टीमें तैनात की गई हैं.
नियमों का उल्लंघन करने पर जुर्माना
प्राप्त जानकारी के अनुसार नियम लागू होने के पहले दिन ही अधिकारियों ने 80 से अधिक पुराने वाहनों को जब्त कर लिया. इसके साथ ही, इन नियमों का उल्लंघन करने पर भारी जुर्माने का प्रावधान भी है. बता दें कि नियमों का पालन न करने पर चार पहिया वाहनों पर 15,000 और दोपहिया वाहनों पर 10,000 तक का जुर्माना लगाया जा सकता है.
सरकार विस्तार देने की बना रही योजना
बता दें कि अभी यह केवल ‘नो फ्यूल पॉलिसी’ दिल्ली में लागू की गई है, लेकिन मीडिया रिपोर्ट्स का कहना है कि सरकार इसे विस्तार देने की योजना बना रही है. ऐसे में 1 नवंबर 2025 से यह नीति नोएडा, गाजियाबाद, फरीदाबाद और सोनीपत जैसे शहरों में भी लागू हो सकती है. जानकारों का मानना है कि आने वाले समय में और अधिक वाहन मालिक इस प्रतिबंध के दायरे में आ सकते हैं.
दूसरे राज्यों में रजिस्ट्रेशन ट्रांसफर कराने की कोशिश
दिल्ली में यह नीति लागू होने से आसपास के इलाकों के हजारों वाहन मालिकों को काफी परेशानी हो रही है. क्योंकि इस नियम के मुताबिक, उन्हें अपनी पुरानी गाड़ियां कबाड़ भाव में बेचने को मजबूर होना पड़ रहा है. बता दें कि जिनकी गाड़ियां तकनीकी रूप से बिलकुल सही स्थिति में हैं, वे भी इन्हें रखने में हिचकिचा रहे हैं क्योंकि अब वे न तो इन्हें चला सकते हैं, न ही उन्हें Reasonable price पर बेच सकते हैं.
कुछ लोग अपनी गाड़ियों को दूसरे राज्यों में रजिस्ट्रेशन ट्रांसफर कराने की कोशिश कर रहे हैं लेकिन यह प्रक्रिया भी कॉम्प्लिकेटेड है, जिससे गाड़ी मालिकों की परेशानी और बढ़ रही है.
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