Jagannath Rath Yatra: रथ यात्रा का अंतिम चरण, आज मौसी के घर से लौट रहे भगवान जगन्नाथ

Raginee Rai
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Jagannath Rath Yatra: पुरी में चल रही जगन्‍नाथ रथयात्रा अपने अंतिम चरण में हैं. आज भगवान जगन्नाथ अपने मौसी यानी देवी गुंडिचा के मंदिर में विश्राम करने के बाद अब अपने मंदिर लौट रहे है. इस दौरान लाखों की संख्या में भक्‍त जुटे हुए हैं. गुंडिचा मंदिर में भगवान जगन्‍नाथ ने 9 दिनों तक दिव्य विश्राम किया.  अब वह अपने भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा के साथ मूल निवास श्रीमंदिर लौटने वाले हैं. इस पावन यात्रा को बाहुड़ा यात्रा कहते हैं, जो हर साल होने वाली रथ यात्रा की वापसी यात्रा है.

बाहुड़ा यात्रा के बारे में जानें

बता दें कि ओड़िया भाषा से लिया गया शब्‍द ‘बाहुड़ा’ का अर्थ ‘वापसी’ है. इस दिन भगवान गुंडिचा मंदिर से वापस लौटते हैं. श्रद्धालुओं की भारी भीड़ को देखते हुए पुरी शहर में सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं. बाहुड़ा यात्रा, बाहर जाने वाली रथ यात्रा की तरह ही होती है, बस दिशा उल्टी होती है.

तीनों विशाल रथ यानी भगवान बलभद्र का तालध्वज, देवी सुभद्रा का दर्पदलन, और भगवान जगन्नाथ का नंदीघोष पहले ही ‘दक्षिण मोड़’ (दक्षिण की ओर मुड़ना) ले चुके हैं और अब गुंडिचा मंदिर के नकाचना द्वार के पास खड़े हैं. परंपरा के मुताबिक, भगवान रथ खींचे जाने के दौरान बीच में मौसी मां के मंदिर (अर्धासनी मंदिर) में थोड़ी देर रुकेंगे. वहां उन्हें पोड़ा पीठा नाम की खास मिठाई चढ़ाई जाएगी, जो चावल, गुड़, नारियल और दाल से बनी होती है.

4 बजे तड़के हुई आरती

आज दिन की शुरुआत तड़के 4:00 बजे मंगला आरती से हुई। इसके बाद तड़प लगी, रोजा होम, अबकाश और सूर्य देव की पूजा की गई. फिर द्वारपाल पूजा, गोपाल बलभ और सकाला धूप जैसे अनुष्ठान हुए। सेनापतलगी अनुष्ठान के जरिए भगवान जी को यात्रा के लिए तैयार किया गया.

दोपहर शुरू होगी भगवानों को रथ तक लाने की रस्म

‘पहंडी’ यानी (भगवानों को रथ तक लाने की रस्म) दोपहर करीब 12 बजे शुरू होकर 2:30 बजे तक पूरी हो जाएगी. इसके बाद गजपति महाराज दिव्यसिंह देव छेरा पहंरा करेंगे. इस रस्म में वे सोने की झाड़ू से रथों की सफाई कर भगवानों के प्रति समर्पण और समानता का संदेश देते हैं. जब रथों में लकड़ी के घोड़े जोड़ दिए जाएंगे, तब शाम 4:00 बजे से भक्त रथ खींचना शुरू करेंगे. सबसे पहले भगवान बलभद्र का तालध्वज चलेगा, फिर देवी सुभद्रा का दर्पदलन और अंत में भगवान जगन्नाथ का नंदीघोष चलेगा.

आगे क्या होगा?

6 जुलाई को सुनाबेशा होगा, जब भगवान रथों पर स्वर्ण आभूषणों से सजेंगे. 8 जुलाई को नीलाद्री बिजे अनुष्ठान होगा, जब भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा अपने श्रीमंदिर में वापस प्रवेश करेंगे और रथ यात्रा समाप्‍त हो जाएगा. भगवान जगन्‍नाथ 27 जून को अपने घर से भ्रमण के लिए निकले थे और अपनी मौसी मां के घर गुंडिचा मंदिर में विश्राम कर रहे थे. अब भगवान जगन्‍नाथ पुरी मंदिर में वापसी कर रहे हैं.

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