देश में अगली दो से तीन तिमाहियों में घरेलू खपत में आएगी तेजी: UBS रिपोर्ट

Raginee Rai
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UBS Report: स्विस ब्रोकरेज फर्म UBS सिक्योरिटीज ने मंगलवार को एक रिपोर्ट में अनुमान लगाया है कि ग्रामीण क्षेत्रों से मांग मजबूत रहने से देश में अगली दो से तीन तिमाहियों में घरेलू खपत में तेजी आ सकती है. रिपोर्ट के अनुसार, ग्रामीण क्षेत्रों में मजबूत मांग, महंगाई में नरमी और सरकारी सामाजिक व्यय जैसे कारकों से घरेलू उपभोग को बल मिलेगा.

रिपोर्ट में बताया गया है कि बेहतर मानसून से फसल का परिदृश्य सुधरा है और महिलाओं के लाभ पर लगभग 20 अरब डॉलर का सामाजिक व्यय होने से ग्रामीण क्षेत्रों में क्रय शक्ति को मजबूती मिली है. हालांकि, रिपोर्ट यह भी कहती है कि शहरी खपत स्थिर होती नजर आ रही है. इसके पीछे व्यक्तिगत आयकर दरों में बदलाव कर लगभग 10 अरब डॉलर के नीतिगत प्रोत्साहन, रिजर्व बैंक की संभावित दर कटौती और कर्ज की बेहतर उपलब्धता जैसे कारकों को मददगार बताया गया है.

उत्पादों की खपत बढ़ रही

UBS इंडिया की मुख्य अर्थशास्त्री तन्वी गुप्ता जैन ने कहा, “ग्रामीण गतिविधियों में सुधार के संकेत हैं लेकिन समग्र घरेलू खपत में व्यापक तेजी की उम्मीद करना फिलहाल जल्दबाजी होगी, क्योंकि ग्रामीण खपत कुल उपभोग का आधा भी नहीं है.” रिपोर्ट के अनुसार, ग्रामीण उपभोग के भीतर भी एक ‘फासला’ देखा जा रहा है, जिसमें सामान्य उपभोक्ता वस्तुओं की मांग कमजोर है, जबकि ‘प्रीमियम’ उत्पादों की खपत बढ़ रही है. अप्रैल-जून तिमाही में खाद्य मुद्रास्फीति के समायोजन के बाद वास्तविक ग्रामीण मजदूरी वृद्धि छह साल के उच्चतम स्तर 4.5 फीसदी पर पहुंच गई. वहीं, खाद्य वस्तुओं के दाम घटने से कृषि क्षेत्र की लाभप्रदता पर प्रभाव पड़ा है.

उपभोक्ता धारणा में हुआ सुधार

यूबीएस रिपोर्ट के अनुसार, ग्रामीण क्षेत्रों में उपभोक्ता धारणा में सुधार हुआ है. तिमाही आधार पर दोपहिया वाहनों की बिक्री में 9 प्रतिशत और ट्रैक्टर की बिक्री में 35 प्रतिशत का इजाफा हुआ है. इसके अलावा दैनिक उपभोग के सामान (FMCG) की बिक्री भी अच्छी रही है. वहीं, शहरी उपभोग से जुड़े संकेतकों में जून तिमाही के दौरान कुछ नरमी देखने को मिली.

उपभोक्ता धारणा स्थिर रहने के बाद भी यात्री वाहनों की बिक्री और टिकाऊ उपभोक्ता वस्तुओं के उत्पादन में गिरावट आई. रिपोर्ट में अनुमान जताया है कि सरकारी कर्मचारियों के लिए वर्ष 2026 से लागू होने वाले आठवें वेतन आयोग की सिफारिशों के तहत 55 अरब डॉलर का संभावित भुगतान होने से शहरी मांग में तेजी आएगी.

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