Muslim Prayer : धार्मिक कट्टरता को लेकर मलेशिया में एक और बड़ा कदम उठाया गया है. पैन-मलेशियाई इस्लामिक पार्टी (PAS) के शासन वाले तेरेंगानु राज्य ने घोषणा करते हुए कहा कि बिना किसी कारण के जो मुस्लिम पुरुष जुमे की नमाज़ नही पढ़ता उसे दो साल सजा और 61780 रू. तक का जुर्माना भुगतना पड़ सकता है.
इस मामले को लेकर मलेशिया में राज्य के सूचना उपदेश मंत्री मुहम्मद खलील अब्दुल हादी का कहना है कि यह कानून इसलिए बनाया गया है कि ताकि मुसलमानों को याद रहे कि जुमे की नमाज़ सिर्फ़ एक धार्मिक प्रतीक नहीं बल्कि अल्लाह के प्रति आज्ञाकारिता का प्रतीक है.
नमाज को लेकर कानून में बदलाव
जानकारी देते हुए बता दें कि इससे पहले तेरेंगानु राज्य में केवल लगातार तीन जुमे की नमाज़ न पढ़ने पर सज़ा दी जाती थी. इसका मतलब यह है कि अगर कोई व्यक्ति तीन बार लगातार मस्जिद नहीं जाता, तो उसे अपराधी माना जाता था, लेकिन अब कानून में बदलाव हो गया है जिससे नए संशोधन के बाद एक बार नमाज़ न पढ़ने पर भी सज़ा मिलेगी. प्राप्त जानकारी के अनुसार मलेशिया के राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि यह बदलाव चुनावी रणनीति से जुड़ा है.
नमाज़ के लिए जागरूकता अभियान
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, तेरेंगानु की आबादी लगभग 12 लाख है, जिसमें से अधिकतर लोग मलय मुसलमान हैं. ऐसे में उनका कहना है कि 2022 के विधानसभा चुनाव में PAS ने सभी 32 सीटें जीतकर विधानसभा में विपक्ष को पूरी तरह ख़त्म कर दिया था. इस मामले को लेकर मलेशियाई वकील अजीरा अजीज ने कहा कि यह कुरान की उस शिक्षा के विपरीत है, जिसमें संपूर्ण रूप से कहा गया कि धर्म में कोई बाध्यता नहीं है. इसके साथ ही उन्होंने सुझाव भी दिया कि नमाज़ के लिए जागरूकता अभियान और शिक्षा कार्यक्रम पर्याप्त हैं और इसे अपराध बनाना ज़रूरी नहीं.
मलेशिया धार्मिक कट्टरपंथ की ओर झुक रहा
जानकारी के मुताबिक, लोगों का कहना है कि प्रधानमंत्री अनवर इब्राहिम के कार्यकाल में मलेशिया में धार्मिक रूढ़िवादिता बढ़ने की बात कही जा रही है. बता दें कि काफी समय पहले एक मंदिर को गिराकर उसकी जगह मस्जिद बनाई गई थी, जिसका उद्घाटन खुद अनवर ने किया था. इस दौरान तेरेंगानु के इस नए कानून को लेकर इस बात का प्रतीक माना जा रहा है कि मलेशिया धीरे-धीरे धार्मिक कट्टरपंथ की ओर झुक रहा है.
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