Nepal Protest : सोशल मीडिया बैन को लेकर नेपाल में Gen-Z युवाओं का गुस्सा फूट पड़ा. इस दौरान इस मामले को लेकर राजधानी काठमांडू से लेकर कई शहरों में हजारों युवाओं ने सड़कों पर उतरकर जोरदार प्रदर्शन किया. इतना ही नही बल्कि यह आंदोलन धीरे-धीरे हिंसक हो गया. बता दें कि इस आंदोलन में 19 लोगों की मौत और 300 से ज्यादा लोग घायल हो गए. ऐसे में हालात को हद से ज्यादा बिगड़ने पर देर रात सरकार ने सोशल मीडिया से प्रतिबंध हटा लिया. आइए जानते हैं नेपाल में हिंसा और प्रदर्शन से जुड़े 10 बड़े अपडेट्स.
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सोशल मीडिया को बंद करने का कोई इरादा नही था- सरकार
इस आंदोलन को लेकर प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने प्रदर्शनकारियों की मौत पर दुख जताते हुए कहा कि कुछ असामाजिक तत्वों ने शांतिपूर्ण आंदोलन को हिंसक बना दिया. ऐसे में उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि सोशल मीडिया को बंद करने का सरकार का कोई इरादा नही था, बल्कि उसे नियमों के तहत नियंत्रित करने का था. इसके साथ ही उन्होंने 15 दिनों में रिपोर्ट देने के लिए एक जांच समिति गठित करने की घोषणा की.
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गृह मंत्री ने पद से दिया इस्तीफा
प्राप्त जानकारी के अनुसार हिंसा की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए गृह मंत्री रमेश लेखक ने पद से इस्तीफा दे दिया. ऐसे में सूचना मंत्री पृथ्वी सुब्बा गुरुंग का कहना है कि प्रधानमंत्री ओली इस्तीफा नहीं देंगे और सरकार मृतकों के परिवारों को मुआवजा देने के साथ घायलों का मुफ्त इलाज कराएगी.
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सरकार ने काठमांडू में बुलाई सेना
हालात को बिगड़ता देख और उस पर काबू न पाने के कारण सरकार ने काठमांडू में सेना बुला ली. ऐसे में आर्मी ने संसद भवन और उसके आसपास के इलाकों का नियंत्रण संभाला और इसके साथ रही पास के इलाके काठमांडू, ललितपुर, पोखरा, बुटवल और ईटहरी में कर्फ्यू लागू कर दिया. इस दौरान किसी भी तरह की सभा, जुलूस या रैली पर पूरी तरह रोक रहेगी.
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विरोध पर प्रदर्शनकारियों ने कहा
इस मामले को लेकर प्रदर्शनकारियों का कहना है कि सरकार सिर्फ सोशल मीडिया के साथ बेरोजगारी, भ्रष्टाचार और आर्थिक संकट जैसे मुद्दों पर भी फेल रही है. बता दें कि सोशल मीडिया पर युवाओं ने “Nepo Kid” ट्रेंड चलाकर नेताओं के बच्चों पर ऐश करने का आरोप लगाया और कहा नेताओं के बच्चे ऐश कर रहे हैं वहीं आम जनता बेरोजगारी और महंगाई झेल रही है.
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सरकार ने सोशल मीडिया पर बैन की बताई वजह
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार सरकार ने फेसबुक, इंस्टाग्राम, यूट्यूब, व्हाट्सऐप के साथ और भी कई अन्य प्लेटफॉर्म समेत 26 सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर पाबंदी लगा दी थी. ऐसे में विरोध प्रदर्शन शुरू करने पर उन्होंने बताया कि कंपनियां तय समय में पंजीकरण नहीं करा पाईं. इसके साथ ही सरकार ने दावा करते हुए कहा कि यह कदम सेंसरशिप नहीं, बल्कि नियमों के पालन को लेकर उठाया गया.
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