Nepal Crisis: नेपाल में सोशल मीडिया बैन को लेकर सरकार के खिलाफ Gen-Z के प्रदर्शन के बाद भड़की हिंसा से हालात बिगड़ गए हैं. इस हिंसक प्रदर्शन में अब तक 20 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि सैकड़ों लोग घायल हुए हैं. प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली के इस्तीफे के बाद भी प्रदर्शनकारियों का गुस्सा शांत नहीं हुआ है. इस हिंसा के बीच कई जेलों से हजारों कैदी फरार हो गए हैं.
नेपाल में जगह-जगह इमारतें जली हुई हालत में दिख रही हैं और उनसे धुआं निकल रहा है. प्रदर्शनकारियों ने तमाम सरकारी ऑफिसों और उनमें रखे अहम दस्तावेजों को तबाह कर दिया है. ऐसे में अब नेपाल में सेना ने कमान संभाला है और पूरे देश में कर्फ्यू लगा दिया है.
फरार कैदियों की लिस्ट आई सामने
नेपाल में भड़की हिंसा के बीच एक बड़ी खबर ये है कि नेपाल के 18 जिलों की जेल से करीब 6 हजार कैदी फरार हो गए हैं. इसमें अकेले कास्की से 773 कैदी और नवलपरासी जेल से 500 कैदी फरार हुए हैं. चितवन से 700 कैदी, कैलाली से 612 कैदी, जलेश्वर से 576 कैदी भाग निकले हैं.
नेपाल की इन जेलों से फरार कैदियों की लिस्ट भी सामने आई है. ऐसे में ये मामला भी चिंता का विषय है कि फरार कैदी देश की सुरक्षा में बाधक बन सकते हैं. फरार कैदियों में ये चिन्हित कर पाना भी मुश्किल है कि कौन सा कैदी कितना खतरनाक है.
नेपाल में क्यों शुरू हुआ उग्र प्रदर्शन?
मालूम हो कि नेपाल में हालिया प्रदर्शन मुख्य रूप से सरकार द्वारा सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स (जैसे फेसबुक, इंस्टाग्राम, व्हाट्सएप, और एक्स) पर प्रतिबंध लगाने के फैसले के विरोध में शुरू हुए थे. यह प्रतिबंध सरकार ने इसलिए लगाया था, क्योंकि इन प्लेटफॉर्म्स ने नेपाल सरकार के साथ पंजीकरण की सात दिन की समयसीमा का पालन नहीं किया था. सरकार का तर्क था कि यह कदम अनियंत्रित कंटेंट, फर्जी खबरों, और अवैध गतिविधियों को नियंत्रित करने के लिए जरूरी था. हालांकि, प्रदर्शनकारी, खासकर Gen-Z युवाओं ने इसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला माना था. उनका आरोप था कि सरकार भ्रष्टाचार और बेरोजगारी जैसे मुद्दों पर उनकी आवाज दबाने की कोशिश कर रही है. इसके बाद प्रदर्शन काठमांडू से शुरू होकर देश के अन्य शहरों तक फैल गया और इसने हिंसक रूप ले लिया, जिसमें पुलिस के साथ तीखी झड़पें हुईं. इन झड़पों में 20 से ज्यादा लोगों की मौत हुई और सैकड़ों लोग घायल हुए हैं.