नेपाल में प्राकृतिक आपदाओं का कहर, बाढ़ और भुस्‍खलन से अब 52 लोगों की मौत

Aarti Kushwaha
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Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)
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Nepal Food: नेपाल में पिछले तीन दिनों में प्राकृतिक आपदाओं का कहर जारी है. इस दौरान बाढ़ और भुस्‍खलन के कारण अब तक करीब 52 लोगों की मौत हो गई, जबकि 27 लोग घायल हुए हैं और अभी 7 लोग लापता बताया है. इसकी जानकारी सशस्त्र पुलिस बल (एपीएफ) के एक अधिकारी द्वारा दी गई है.

एपीएफ प्रवक्ता महानिदेशक कालीदास धौबाजी ने रविवार को बताया कि सिर्फ पूर्वी इलम जिले में भूस्खलन के कारण 38 लोगों की मौत हो गई. इस दौरान मानवीय क्षति के अलावा, नेपाल को देश भर में भूस्खलन और बाढ़ के कारण बुनियादी ढांचे का भी नुकसान हुआ है.

कई जलविद्युत परियोजनाएं भी हुई प्रभावित

बता दें कि नेपाल में निजी क्षेत्र के बिजली उत्पादकों के संगठन, इंडिपेंडेंट पावर प्रोड्यूसर्स एसोसिएशन (आईपीपीएएन) के मुताबिक, बाढ़ और भूस्खलन से 18 जलविद्युत परियोजनाएं प्रभावित हुई हैं. इनमें 13 चालू और 5 निर्माणाधीन परियोजनाएं शामिल हैं, जिससे बिजली उत्पादन बाधित हुआ है.

जलविद्युत क्षमता में समृद्ध है नेपाल

उन्‍होंने बताया कि 13 परियोजनाएं, जिनकी कुल क्षमता 105.4 मेगावाट है, विभिन्न बुनियादी ढांचों को हुए नुकसान के कारण बंद हैं. नेपाल, जो जलविद्युत क्षमता में समृद्ध है, लेकिन हाल ही के वर्षों में जलवायु परिवर्तन से संबंधित आपदाओं के कारण इस महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे को जोखिम का सामना करना पड़ रहा है. 

100 मिलियन रुपये का अनुमानित प्रारंभिक नुकसान

ऊर्जा, जल संसाधन और सिंचाई मंत्रालय के मुताबिक, हाल ही में हुई बारिश के वजह से विभिन्न क्षेत्रों में नदी तट का कटाव, बाढ़ और जलप्लावन हुआ, जिसके परिणामस्वरूप नदी के किनारों पर लगभग 1,500 मीटर तटबंधों का क्षरण हुआ और लगभग 100 मिलियन रुपये का अनुमानित प्रारंभिक नुकसान हुआ. मंत्रालय के अनुसार, बाढ़ के कारण कुछ सिंचाई परियोजनाएं भी जलमग्न हो गईं.

नेपाल में लगातार बढ़ रहा नदियों का जलस्‍तर

देश में लगातार बारिश के कारण बागमती, त्रिशूली, पूर्वी राप्ती, लालबकैया और कमला जैसी कई नदियों का जलस्तर खतरे के निशान को पार कर गया था, लेकिन अब धीरे-धीरे कम हो रहा है.इसी तरह, सप्तकोशी नदी का जलस्तर रविवार दोपहर तक खतरे के स्तर से ऊपर था, और इसकी सहायक नदियां भी खतरे के निशान को पार कर गई थीं, लेकिन अब इनका जलस्तर भी घट रहा है. वहीं, कोशी नदी, जिसे अक्सर बिहार का दुख कहा जाता है, मानसून के दौरान बिहार में बाढ़ और जलभराव के कारण भारत के लिए एक बड़ी चिंता बनी हुई है.

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