FY26 के पहले पांच महीनों (अप्रैल से अगस्त 2025) के दौरान भारत का कुल वस्तुओं और सेवाओं का निर्यात 5.19% की वृद्धि के साथ 346.10 अरब डॉलर पर पहुंच गया, जबकि पिछले वर्ष की समान अवधि में यह आंकड़ा 329.03 अरब डॉलर था. यह जानकारी सरकार ने मंगलवार को साझा की.
यह वृद्धि ऐसे समय में दर्ज की गई है जब वैश्विक आर्थिक अनिश्चितता और अमेरिकी टैरिफ जैसे कारकों के चलते अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के लिए माहौल चुनौतीपूर्ण बना हुआ है. कुल निर्यात में इस अवधि के दौरान वस्तुओं का योगदान 53.09% रहा, जबकि सेवाओं की हिस्सेदारी 46.91% दर्ज की गई.
बास्केट 2.5% की दर से बढ़ रहा है विश्व का निर्यात
विश्व बैंक के आंकड़ों के मुताबिक, विश्व का निर्यात बास्केट 2.5% की दर से बढ़ रहा है, जबकि भारत का निर्यात 7.1% (2024) की दर से बढ़ रहा है, जो वैश्विक वृद्धि दर से काफी अधिक है और देश की प्रगति की रफ्तार को दिखाता है. बयान में आगे कहा गया कि भारत के सकल घरेलू उत्पाद में निर्यात का हिस्सा 2015 में 19.8% से बढ़कर 2024 में 21.2% हो गया है, जो भारतीय अर्थव्यवस्था में निर्यात में बढ़त को दर्शाता है. भारत के व्यापार प्रदर्शन ने वित्त वर्ष 2025-26 के पहले पांच महीनों में वृद्धि की प्रवृत्ति जारी रखा है. सरकार ने FY25-26 के लिए 1 ट्रिलियन डॉलर के निर्यात का महत्वाकांक्षी लक्ष्य निर्धारित किया है, जिसका 34.61% हिस्सा केवल पहले पांच महीनों (अप्रैल-अगस्त 2025) में ही प्राप्त कर लिया गया है.
इस अवधि में भारत का वस्तुओं का निर्यात 2.31% की वृद्धि के साथ 183.74 अरब डॉलर तक पहुंच गया, जबकि पिछले वर्ष इसी अवधि में यह 179.60 अरब डॉलर था. गैर-पेट्रोलियम और गैर-रत्न एवं आभूषण श्रेणियों में निर्यात प्रदर्शन और भी बेहतर रहा. अप्रैल-अगस्त 2025 के दौरान इस श्रेणी का निर्यात 7.76% बढ़कर 146.70 अरब डॉलर तक पहुंच गया, जो पिछले वर्ष की समान अवधि में 136.13 अरब डॉलर था. यह वृद्धि मुख्य रूप से इंजीनियरिंग उत्पादों, इलेक्ट्रॉनिक्स, फार्मास्यूटिकल्स, रसायनों और अन्य प्रमुख वस्तुओं की मजबूत मांग के कारण संभव हुई है.