भारत में रिटेल पेमेंट के क्षेत्र में चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही के दौरान डिजिटल ट्रांजैक्शन का हिस्सा 99.8% रहा. सोमवार को जारी एक रिपोर्ट के मुताबिक, नीति-समर्थन, बेहतर इंफ्रास्ट्रक्चर और फिनटेक के बढ़ते प्रभाव के चलते पेपर-बेस्ड इंस्ट्रूमेंट्स, जैसे कि चेक, अब तेजी से प्रचलन से बाहर हो रहे हैं. यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस (UPI), आधार-इनेबल्ड पेमेंट सिस्टम (AePS), तत्काल पेमेंट सेवा (IMPS) और अन्य डिजिटल माध्यमों के कारण रिटेल लेन-देन में डिजिटल पेमेंट का वर्चस्व बना हुआ है. FY26 की पहली तिमाही तक, कुल भुगतान मूल्य का 92.6% और लेन-देन की मात्रा का 99.8% डिजिटल माध्यमों से किया गया.
स्मार्टफोन के इस्तेमाल ने इस बदलाव में निभाई महत्वपूर्ण भूमिका
केयरएज एनालिटिक्स एंड एडवाइजरी ने अपनी रिपोर्ट में कहा, यह दर्शाता है कि बढ़ती इंटरनेट पहुंच और स्मार्टफोन के इस्तेमाल ने इस बदलाव में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. इस बदलाव के साथ बैंकिंग सेवाओं से वंचित आबादी को फॉर्मल डिजिटल इकोनॉमी में लाकर फाइनेंशियल इंक्लूजन को सक्षम बनाया गया है. रिपोर्ट के अनुसार, बढ़ते डिजिटल लेनदेन के व्यवहारिक बदलाव के पीछे यूपीआई की मुख्य भूमिका है, जिसमें FY26 की पहली तिमाही में 54.9 बिलियन ट्रांजैक्शन और FY25 में 185.9 बिलियन ट्रांजैक्शन दर्ज किए गए.
यूपीआई के तेजी से विकास करते रहने की उम्मीद
FY23 से 2025 के बीच यूपीआई ट्रांजैक्शन में 49% की सीएजीआर (चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर) दर्ज की गई, जो टियर-2 और टियर-3 शहरों में इसके तेजी से बढ़ते उपयोग और व्यापक पहुंच को दर्शाता है. केयरएज रिसर्च की वरिष्ठ निदेशक तन्वी शाह ने बताया कि यह वृद्धि इंटरनेट की बढ़ती उपलब्धता और छोटे शहरों में डिजिटल पेमेंट को अपनाए जाने के चलते संभव हुई है. रिपोर्ट में कहा गया है कि यूपीआई के तेजी से विकास करते रहने की उम्मीद है, जिससे भारत के डिजिटल पेमेंट लैंडस्केप में इसका प्रभुत्व मजबूत होगा.
FY23 में 30% थी डिजिटल ट्रांजैक्शन की हिस्सेदारी
रिपोर्ट के अनुसार, निजी अंतिम उपभोग व्यय (PFCE) में डिजिटल ट्रांजैक्शन की हिस्सेदारी वित्त वर्ष 2023 में 30% थी, जो बढ़कर FY26 की पहली तिमाही में 50% तक पहुंच गई है. यह वृद्धि यूपीआई के व्यापक अपनाने, नीतिगत सुधारों और उपभोक्ता व्यवहार में आए बदलावों का परिणाम है. हालांकि, इस बढ़त के बावजूद नकदी का उपयोग अभी भी मजबूत बना हुआ है और PFCE में इसकी हिस्सेदारी 50% पर कायम है.