सितंबर में थोक और उपभोक्ता महंगाई दर में गिरावट, FY25-26 में राहत के आसार

Shivam
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Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)
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वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय द्वारा मंगलवार को जारी आंकड़ों के अनुसार, सितंबर माह में थोक मूल्य सूचकांक (WPI) आधारित मुद्रास्फीति दर 0.13% दर्ज की गई है, जो अगस्त में 0.52% थी. यह मामूली वृद्धि मुख्य रूप से खाद्य उत्पादों, गैर-खाद्य वस्तुओं, वस्त्रों, अन्य मैन्युफैक्चरिंग और परिवहन उपकरणों की कीमतों में हुई तेजी के कारण हुई है. वहीं दूसरी ओर, खाद्य पदार्थों की कीमतों में 1.38% की गिरावट देखी गई है, जिसका प्रमुख कारण फसलों की बेहतर पैदावार और चावल व गेहूं का पर्याप्त बफर स्टॉक होना बताया गया है.

फूड इंडेक्स में सितंबर में सालाना आधार पर 1.99% की गिरावट दर्ज

फूड इंडेक्स में सितंबर में सालाना आधार पर 1.99% की गिरावट दर्ज की गई है. सितंबर के दौरान पेट्रोल, डीजल और प्राकृतिक गैस जैसे ईंधनों की कीमतों में भी गिरावट जारी रही और ईंधन मुद्रास्फीति नकारात्मक क्षेत्र में -2.58% पर रही. सितंबर महीने के लिए थोक मूल्य सूचकांक में मासिक आधार पर बदलाव अगस्त की तुलना में -0.19% रहा. सांख्यिकी मंत्रालय द्वारा सोमवार को जारी आंकड़ों के अनुसार, उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति दर इस वर्ष सितंबर में घटकर 1.54% पर आ गई, जो पिछले आठ वर्षों में सबसे निचला स्तर है.

सितंबर में -2.28% पर रही खाद्य मुद्रास्फीति

यह गिरावट पिछले वर्ष के इसी महीने की तुलना में दर्ज की गई है और इसका मुख्य कारण खाद्य पदार्थों और ईंधन की कीमतों में आई नरमी बताया गया है. जून 2017 के बाद से यह सालाना आधार पर सबसे कम मुद्रास्फीति दर दर्ज की गई है. सितंबर की थोक महंगाई दर न केवल अगस्त की 2.05% की दर से कम रही, बल्कि यह लगातार चौथे महीने खाद्य मुद्रास्फीति के नकारात्मक दायरे में रहने का संकेत भी देती है. आंकड़ों के अनुसार, सितंबर में खाद्य मुद्रास्फीति -2.28% पर रही. एक आधिकारिक बयान में कहा गया कि हेडलाइन और खाद्य मुद्रास्फीति दोनों में गिरावट का प्रमुख कारण अनुकूल आधार प्रभाव और सब्जियों, खाद्य तेलों, फलों, दालों, अनाज और अंडों की कीमतों में आई नरमी है.

2025-26 में महंगाई दर सौम्य रहने की संभावना

अच्छे दक्षिण-पश्चिम मानसून, अच्छी खरीफ बुवाई, पर्याप्त जलाशय स्तर और खाद्यान्नों के पर्याप्त बफर स्टॉक के साथ बड़े अनुकूल आधार प्रभावों के कारण 2025-26 के लिए मुद्रास्फीति का दृष्टिकोण अधिक सौम्य हो गया है. 22 सितंबर से शुरू हुई जीएसटी दरों में कटौती से सभी वस्तुओं की कीमतें कम हो रही हैं, जिसके परिणामस्वरूप आने वाले महीनों में मुद्रास्फीति में कमी आएगी. मुद्रास्फीति दर में गिरावट आरबीआई को ब्याज दरों में कटौती और विकास को बढ़ावा देने के लिए अर्थव्यवस्था में अधिक धन डालकर नरम मुद्रा नीति जारी रखने के लिए अधिक गुंजाइश देती है.

आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा ​​ने क्‍या कहा?

आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ने 1 अक्टूबर को FY25-26 के लिए भारत की मुद्रास्फीति दर के अपने पूर्वानुमान को अगस्त के 3.1% से घटाकर 2.6% कर दिया, जिसका मुख्य कारण जीएसटी रेट कट और खाद्य कीमतों में नरमी है. आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा ​​ने कहा, हाल ही में लागू जीएसटी रेट्स को रेशनलाइज बनाने से सीपीआई बास्केट की कई वस्तुओं की कीमतों में कमी आएगी। कुल मिलाकर, मुद्रास्फीति का परिणाम अगस्त की मौद्रिक नीति समिति के प्रस्ताव में अनुमानित से कम रहने की उम्मीद है.

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