Indian Navy: भारतीय नौसेना ने सोमवार को एंटी-सबमरीन वॉरफेयर शैलो वॉटर क्राफ्ट INS-माहे को अपने बेड़े में शामिल कर लिया है. नौसेना में INS माहे की कमीशनिंग आज आर्मी चीफ उपेंद्र द्विवेदी की उपस्थिति में होगा तथा पश्चिमी नौसेना कमान के फ्लैग ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ कृष्णा स्वामीनाथन की मौजूदगी में हुई. INS माहे को बेड़े में शामिल करने के बाद भारतीय नौसेना की ताकत में बड़ा इजाफा हो गया है.
क्या है माहे की खासियत?
INS-माहे की सबसे बड़ी ताकत इसकी डुअल-सोनार क्षमता है. यह एक डीप वाटर के लिए और एक शैलो वाटर के लिए है. यानी चाहे दुश्मन की पनडुब्बी गहरे पानी में छिपी हो या तट के पास — INS-माहे उसे ढूंढ निकालने में सक्षम है. यह जहाज आधुनिक डिटेक्शन सिस्टम, दो सोनार और उन्नत सेंसरों से लैस है. हम किसी भी सब-सरफेस थ्रेट को बहुत कम समय में ट्रैक, लॉक और न्यूट्रलाइज़ कर सकते हैं. माहे सिर्फ एक जहाज नहीं बल्कि भारतीय नौसेना की वह नया आंख और कान है, जो पानी के नीचे छिपे किसी भी दुश्मन को खोज निकालने की क्षमता रखता है.
डिजाइनिंग पर दिया गया खास ध्यान
आईएनएस माहे उथले पानी में युद्ध के लिए डिज़ाइन किया गया है. टॉरपीडो और रॉकेट क्षमताएं तटीय इलाकों में सबमरीन-हंटिंग ऑपरेशंस को और शक्तिशाली बनाती हैं. कम आवाज वाले डीजल इंजन + वाटर जेट प्रोपल्शन इसे स्टेल्थ, स्पीड और सटीकता — तीनों का परफेक्ट कॉम्बिनेशन देता है. 14 नॉट की स्पीड पर 1,800 नॉटिकल मील की रेंज और तट से 200 नॉटिकल मील तक स्वतंत्र गश्त की क्षमता, इसे भारतीय समुद्री रक्षा की रीढ़ बनाती है.
जहाज में 80 प्रतिशत स्वदेशी पार्ट्स (Indian Navy)
लेफ्टिनेंट कमांडर प्रणश शर्मा ने कहा, “यह कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड का बनाया हुआ माहे क्लास का पहला जहाज है और इस जहाज में 80 प्रतिशत स्वदेशी पार्ट्स हैं. इस जहाज पर लगे हथियारों और सेंसर सूट की बात करें तो, सबसे पहले एनएसजी है, जो नेवल सरफेस गन है, जिससे हम सरफेस और एरियल डोमेन में किसी भी दुश्मन के पार्ट्स को न्यूट्रलाइज कर सकते है. लार्सन एंड टूब्रो सिस्टम हमें दुश्मन की सबमरीन और उनकी तरफ से फायर किए गए टॉरपीडो को न्यूट्रलाइज करने में मदद करता है.”
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