नोएडा 2028 तक अपने कमर्शियल रियल एस्टेट मार्केट में एक संरचनात्मक बदलाव की ओर बढ़ रहा है. गुरुवार को जारी एक रिपोर्ट के अनुसार, इंस्टीट्यूशनल या डेवलपर-ओन्ड ग्रेड ए प्लस प्रोजेक्ट्स, फ्रैगमेंटेड स्टराटा ऑफिस सप्लाई को पीछे छोड़ने की संभावना रखते हैं. कुशमैन एंड वेकफील्ड की रिपोर्ट में कहा गया है कि शहर के ऑफिस एसेट्स की लीजिंग गति जनवरी से सितंबर तक 3.3 मिलियन स्क्वायर फीट की ग्रॉस लीजिंग के साथ मजबूत बनी रही. वहीं, इस वर्ष के अंत तक यह आंकड़ा 4.7 मिलियन स्क्वायर फीट को पार कर जाने का अनुमान है.
बयान में कहा गया है कि 2026 में 2.5 मिलियन स्कायर फुट के स्ट्रेटा-लेड ऑफिस बनेंगे. यह ट्रेंड 2028 तक पूरी तरह से बदल जाएगा जब इंस्टीट्यूशनल या डेवलप ओन्ड- ग्रेड ए प्लस प्रोजेक्ट बढ़कर 2.9 मिलियन स्कायर फुट हो जाएंगे. वहीं, स्ट्रेटा फॉर्मेट इस समय तक कम होकर लगभग 0.28 मिलियन स्कायर फुट हो जाएंगे. कंसल्टेंसी ने कहा कि स्ट्रेटेजिक इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स, मजबूत पॉलिसी पहलें और प्रतिस्पर्धी एसटीईएम टैलेंट पूर की वजह से नोएडा इकोनॉमिक डेवलपमेंट का एक महत्वपूर्ण इंजन है.
नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट का पहला चरण अब 95 प्रतिशत तक पूरा हो चुका है. इसके साथ ही, दिसंबर 2025 तक ऑपरेशन शुरू होने की उम्मीद है, और कई बड़े इंफ्रास्ट्रक्चर अपग्रेड्स के साथ नोएडा को हाई-ग्लोबल कनेक्टिविटी मिलने की संभावना है. 2025 की तीसरी तिमाही तक नोएडा का कुल ऑफिस स्टॉक 43.4 मिलियन स्क्वायर फीट दर्ज किया गया, जिसमें 26.6 मिलियन स्क्वायर फीट ग्रेड ए प्लस स्पेस शामिल है. वहीं, बीते पांच वर्षों में इन्वेस्टमेंट-ग्रेड ऑफिस एसेट्स में 40 प्रतिशत तक की वृद्धि देखी गई है.
पहले 9 महीनों में जीसीसी ने 1 मिलियन स्कायर फुट का योगदान दर्ज करवाया है और दिसंबर 2025 तक 1.28 मिलियन स्कायर फुट पर बंद होने का अनुमान है. कुशमैन एंड वेकफील्ड की नॉर्थ मैनेजिंग डायरेक्टर सुप्रिया चटर्जी ने कहा, इंफ्रास्ट्रक्चर अपग्रेड्स लॉन्ग-टर्म के विस्तार के लिए एक मजबूत आधार तैयार कर रहे हैं, जिसमें नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट, बेहतर होती मेट्रो और एक्सप्रेसवे कनेक्टिविटी, मजबूत पॉलिसी समर्थन और एसटीईएम टैलेंट बेस शामिल है.