भारत-रूस की दोस्‍ती का नया अध्‍याय, कई नॉन-टैरिफ रुकावटें हटवाने पर सरकार का फोकस

Aarti Kushwaha
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Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)
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India-Russia Deal: रूसी मार्केट में अपनी पकड़ मजबूत बनाने के लिए भारत अब सिर्फ तेल और फर्टिलाइजर आयात तक सीमित नहीं रहना चाहता, बल्कि फार्मा से लेकर इंजीनियरिंग और कृषि तक कई सेक्टर्स में बड़ा एक्सपोर्ट पुश देने की तैयारी में है. ईएईयू (Eurasian Economic Union) के साथ प्रस्तावित व्यापार समझौते के जरिए भारत अपनी भूमिका आयातकर्ता से बड़ा निर्यात पार्टनर की ओर मोड़ना चाहता है.

भारतीय एक्‍सपोर्ट में रूकावट है ये नियम

दरअसल, रूस के साथ भारत का व्यापार घाटा अब 59 अरब डॉलर तक पहुंच गया है. ऐसे में सरकार को यह कदम उठाना काफी आवश्‍यक है. हालांकि भारत ने रूस को समुद्री उत्पादों पर लगी 65 से ज्यादा नॉन-टैरिफ रुकावटों की पूरी लिस्ट दे दी है. वहीं, फार्मा सेक्टर में भी चार बड़ी दिक्कतें हैं, जो दवाओं का रजिस्ट्रेशन बहुत मुश्किल, क्लिनिकल ट्रायल की सख्ती, सीमित बाजार में प्रवेश, और दवाओं की कीमत तय करने के कठिन नियम हैं. ये सभी नियम भारत जैसे बड़े दवा निर्यातक देश के लिए बड़ी समस्या बन रहे हैं और एक्सपोर्ट बढ़ाने में रुकावट पैदा करते हैं.

रूस में निर्यात बढ़ाना चाहता है भारत

ईएईयू की बाजार भारतीय निर्यातकों, खासकर छोटे और मध्यम उद्योगों (MSME), के लिए कई नए मौके ला सकती है. फिलहाल, रूस जितना सामान बाहर से खरीदता है, उसमें भारत का हिस्सा सिर्फ 2.3% है. हालांकि भारत इस नए समझौते में ऐसे उत्पादों का निर्यात बढ़ाना चाहता है, जैसे- दवाइयां, केमिकल, इंजीनियरिंग सामान, मशीनरी, गाड़ियां, कृषि से जुड़े प्रोडक्ट और सी फूड.

सरकार ने यह भी साफ कर दिया है कि इस व्यापार समझौते में सोना और कीमती धातुएं शामिल नहीं की जाएंगी. जिसकी वजह ये है कि यूएई के साथ समझौता होने के बाद भारत में सोना-चांदी की आयात काफी बढ़ गई थी, जिससे चिंता बढ़ी थी.

एफटीए वार्ताओं के मुद्दे

सूत्रों के मुताबिक, ईएईयू के साथ चल रही एफटीए वार्ताओं में टैरिफ, कस्टम्स प्रशासन, सैनिटरी–फाइटोसैनिटरी नियम, तकनीकी मानक, प्रतिस्पर्धा और ई–कॉमर्स जैसे अहम मुद्दे शामिल होंगे. सरकार ने उद्योग जगत से रूस तक माल पहुंचाने में लगने वाली शिपिंग दिक्कतों, कस्टम्स डॉक्यूमेंटेशन और बैंकिंग से जुड़ी चुनौतियों पर भी विस्तृत फीडबैक मांगा है.  साथ ही, चूंकि ईएईयू समझौते में सेवा क्षेत्र शामिल नहीं होता, इसलिए भारत रूस के साथ एक अलग सर्विसेज एग्रीमेंट पर भी विचार कर रहा है. इसके अलावा, भारत रूस के साथ अलग से एक सर्विस सेक्टर समझौता करने पर भी विचार कर रहा है.

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