Jammu and Kashmir : जम्मू और कश्मीर एडमिनिस्ट्रेशन ने बुधवार को कानून-व्यवस्था की गड़बड़ी से प्रभावित लोगों को एक्स-ग्रेटिया राहत के लिए एक नया, कंसोलिडेटेड फ्रेमवर्क जारी किया, बता दें कि इसमें पीड़ितों की कई कैटेगरी में मुआवजे के नियमों में काफी बदलाव किया गया है.
प्राप्त जानकारी के अनुसार जनरल एडमिनिस्ट्रेशन डिपार्टमेंट द्वारा नंबर 1716-JK(GAD) ऑफ़ 2025 के तहत जारी किया गया यह ऑर्डर, पहले के निर्देशों को हटाकर और सिक्योरिटी रिलेटेड एक्सपेंडिचर (SRE) सिस्टम के तहत सभी राहत उपायों को एक सिंगल, स्टैंडर्डाइज़्ड स्ट्रक्चर में लाता है.
मुआवज़े की नई कैटेगरीज और राशि
ऐसे में नोटिफ़िकेशन में कहा गया है कि बदले हुए मुआवज़े में मजिस्ट्रेट, पुलिस कर्मचारी और दूसरे लोग शामिल हैं, जिनकी लड़ाई से जुड़ी घटनाओं में मौत, विकलांगता या प्रॉपर्टी का नुकसान हो सकता है. बता दें कि ड्यूटी के दौरान मारे गए मजिस्ट्रेट को 2 लाख की एक्स-ग्रेटिया मिलेगी, इसके साथ ही पुलिस कर्मचारियों और स्पेशल पुलिस ऑफिसर (SPO) के परिवार 5 लाख रुपये के हकदार हैं. ये भी बता दें कि सिक्योरिटी से जुड़े ऑपरेशन के दौरान होने वाली मौतों पर 2 लाख रुपये का मुआवजा मिलता है.
इन कर्मचारियों के लिए नियम
प्राप्त जानकारी के अनुसार नोटिफिकेशन में डोमिसाइल और नॉन-डोमिसाइल CAPF कर्मचारियों के बीच फर्क बताया गया है. जहां नॉन-डोमिसाइल लोगों को मौत पर ₹5 लाख मिलेंगे, लेकिन वहीं J&K के डोमिसाइल लोग जो UT के अंदर या बाहर मरते हैं, उन्हें ₹25 लाख की राहत मिलेगी. जानकारी के मुताबिक, परमानेंट और पार्शियल डिसेबिलिटी के लिए मुआवजा क्रम से ₹75,000 और ₹10,000 रहेगा.
अचल संपत्ति के नुकसान के लिए मुआवज़ा
इसके साथ ही चोटों के लिए मुआवजा दूसरी कैटेगरी जैसा ही है, बता दें कि इसमें परमानेंट डिसेबिलिटी के लिए ₹75,000 और अलग-अलग लेवल की चोट के लिए कम रकम दी जाती है. इतना ही नही बल्कि जम्मू और कश्मीर के डिफेंस कर्मचारियों के लिए, एक्स-ग्रेटिया ₹5 लाख तय किया गया है. वही अगर रहने वाले की मौत J&K की सीमा के अंदर होती है, तो यह राहत बढ़कर ₹25 लाख हो जाती है, लेकिन उस व्यकित की मौत UT के बाहर होती है तो ₹5 लाख मिलते हैं.
तोड़फोड़ या गोलाबारी से हुए नुकसान के लिए मुआवज़ा
बता दें कि एडमिनिस्ट्रेशन ने बॉर्डर पार से बम धमाकों, तोड़फोड़ या गोलाबारी से हुई अचल संपत्ति के नुकसान के लिए भी मुआवज़ा देने का नियम बना दिया है. राहत की लिमिट नुकसान का 50% या 1 लाख रुपये रखी गई है, इसके साथ ही चल और अचल संपत्ति दोनों के कुल नुकसान वाले मामलों में ऊपरी लिमिट ₹10 लाख तक बढ़ाई गई है.

