‘अब समय है…हम अदालत के बाहर भी न्याय की पूरी व्यवस्था करें’, जस्टिस बी.आर. गवई ने समझाई मध्यस्थता की अहमियत

Shivam
Shivam
Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)
Must Read
Shivam
Shivam
Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)
Justice B.R. Gavai Speech: नवी मुंबई स्थित डी.वाई. पाटिल यूनिवर्सिटी के स्कूल ऑफ लॉ में 6 दिसंबर 2025 को हुए अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता सम्मेलन में सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस बी.आर. गवई ने अपना संबोधन दिया. उन्होंने कहा कि अब समय आ गया है कि हम अदालत के बाहर भी न्याय की पूरी व्यवस्था खड़ी करें. मध्यस्थता कोई छोटा रास्ता नहीं, बल्कि न्याय का पूरा और मानवीय तरीका है.

नया Mediation Act बड़ा कदम

जस्टिस बी.आर. गवई ने बताया कि साल 2023 में बना Mediation Act (मध्यस्थता कानून) भारत के लिए ऐतिहासिक है. पहली बार देश को एक अलग और कंप्‍लीट Mediation Act मिला है. अब मध्यस्थता अदालत के अंदर भी हो सकती है और बाहर भी. समझौते को सीधे अदालत का फैसला मानकर लागू करवाया जा सकता है.

गाँव-गाँव तक पहुंचेगी मध्यस्थता

जस्टिस बी.आर. गवई ने सबसे बड़ी चिंता भाषा की बताई. उन्होंने कहा – ज्यादातर ट्रेंड मीडिएटर सिर्फ अंग्रेजी या कुछ बड़ी भाषाओं में काम करते हैं. लेकिन विदर्भ का किसान या झारखंड का आदिवासी अपनी भाषा में ही बात करना चाहता है. अगर मध्यस्थता हर भाषा और हर गाँव तक नहीं पहुंची तो ये सिर्फ शहर के अमीरों की सुविधा बनकर रह जाएगी.

Online Mediation ने बदला खेल

कोरोना महामारी के समय मजबूरी में शुरू हुआ ऑनलाइन डिस्प्यूट रिजॉल्यूशन (ODR) अब क्रांति बन गया है. जस्टिस बी.आर. गवई ने कहा – आज छोटे शहर की महिला व्यापारी घर बैठे विदेशी कंपनी से बात कर सकती है. दूर गांव का ग्राहक बिना कोर्ट जाए अपना पैसा वापस पा सकता है. बस जरूरत है अच्छे ऐप, सुरक्षित तकनीक और ऑनलाइन मध्यस्थता की ट्रेनिंग की.

महिला, दलित, गरीब के साथ न्याय हो

जस्टिस बी.आर. गवई ने चेतावनी दी कि मध्यस्थता में ताकत का गलत इस्तेमाल न हो. घरेलू हिंसा, जातिगत दबाव या आर्थिक कमजोरी के मामलों में जबरदस्ती समझौता नहीं होना चाहिए. मीडिएटर को सिखाया जाए कि वह कमजोर पक्ष की आवाज सुने और जरूरत पड़े तो अलग-अलग कमरे में बात करे.

AI मदद कर सकता है, इंसान नहीं बदल सकता

तकनीक और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के बारे में जज साहब ने कहा – ये लिखने, समय तय करने और फाइल संभालने में मदद करेंगे, लेकिन इंसान की सहानुभूति, विश्वास और समझ की जगह कोई मशीन नहीं ले सकती.

जस्टिस गवई का आखिरी संदेश – सोच बदलो

अंत में जस्टिस बी.आर. गवई ने रस्किन बॉन्ड का मजेदार उदाहरण दिया – “अगर बिल्ली और कुत्ते को ठीक से मिलवाया जाए तो दोनों अच्छे दोस्त बन जाते हैं.” मध्यस्थता भी यही करती है – दुश्मनी को दोस्ती में बदल देती है. उन्होंने वकीलों, जजों और आम लोगों से अपील की कि मध्यस्थता को कमजोरी न समझें. ये समझदारी और ताकत का रास्ता है. अगर हम सब मिलकर इसे पहली पसंद बनाएं तो लाखों केस अदालत के बाहर सुलझ जाएंगे और न्याय सचमुच हर घर तक पहुंचेगा.
Latest News

परिवहन मंत्री दयाशंकर सिंह को ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती भाषा विश्वविद्यालय लखनऊ में किया गया सम्मानित

Ballia: प्रदेश सरकार के परिवहन मंत्री दयाशंकर सिंह को शनिवार को ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती भाषा विश्वविद्यालय लखनऊ में आयोजित...

More Articles Like This