भारत के होम लोन मार्केट में तेज बदलाव देखने को मिल रहा है और अनुमान है कि अगले एक दशक यानी 2035 तक होम लोन का कुल वितरण 150 लाख करोड़ रुपए तक पहुँच सकता है. ओम्निसाइंस कैपिटल की हालिया रिपोर्ट के अनुसार, जनसंख्या संरचना, शहरीकरण, इंफ्रास्ट्रक्चर निवेश और नीतिगत समर्थन जैसे महत्वपूर्ण कारक मिलकर भारत के वित्तीय सेवा क्षेत्र में सबसे स्थायी और संरचनात्मक ऋण अवसरों में से एक की नींव रख रहे हैं. रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि भारतीय बाजारों में गिरवी रखकर लोन लेने की पहुंच केवल जीडीपी के 11% तक है, जो वैश्विक मानकों की तुलना में काफी कम है. इस कमी के कारण भारत के लोन बाजार में व्यापक अवसर मौजूद हैं.
2035 तक 65 करोड़ से अधिक हो जाएगी देश की शहरी आबादी
रिपोर्ट के अनुसार, जैसे-जैसे लोगों की आय बढ़ रही है और शहरी आकांक्षाएं विकसित हो रही हैं, यह सेक्टर एक ऐसे मोड़ पर पहुँच रहा है, जो मजबूत संरचनात्मक उत्प्रेरकों के समर्थन से सतत और बहुवर्षीय विकास की संभावनाओं के लिए पर्याप्त जगह प्रदान करता है. अनुमान के मुताबिक, 2035 तक देश की शहरी आबादी 65 करोड़ से अधिक हो जाएगी और शहरीकरण की दर 43 प्रतिशत तक बढ़ जाएगी. इसकी वजह राजमार्गों, मेट्रो रेल नेटवर्क, लॉजिस्टिक्स कॉरिडोर और तेजी से उभरते सैटेलाइट टाउनशिप में निवेश होना है.
सरकारी पहलें अफोर्डेबिलिटी को कर रही मजबूत
इसके अलावा, सरकारी पहलें अफोर्डेबिलिटी को मजबूत कर रही हैं और सप्लाई बनाने में मदद कर रही हैं, जिसमें पीएमएवाई 2.0 का मकसद 30 मिलियन अतिरिक्त घरों के लिए फाइनेंसिंग को सपोर्ट करना है. एसडब्ल्यूएएमआईएच-2 का लक्ष्य 100,000 अटकी हुई मिड-इनकम हाउसिंग यूनिट्स को पूरा करना है. और 1 लाख करोड़ रुपए का अर्बन चैलेंज फंड भारतीय शहरों को भविष्य के ग्रोथ हब में बदलने के लिए डिजाइन किया गया है.
रियल एस्टेट इकोसिस्टम में बढ़ी पारदर्शिता
रिपोर्ट में बताया गया है कि रेरा (RERA) के लगातार लागू होने से रियल एस्टेट इकोसिस्टम में पारदर्शिता बढ़ी है और खरीदारों का भरोसा मजबूत हुआ है. इसके साथ ही, मजबूत बैलेंस शीट, बढ़ती अफोर्डेबिलिटी और लंबी अवधि तक स्थिर मांग के कारण हाउसिंग फाइनेंस इंडस्ट्री भारत की आर्थिक वृद्धि के अगले चरण में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए पूरी तरह तैयार है.

