भारत के कुछ राज्यों में, जहां जनकल्याणकारी योजनाओं के भुगतान के लिए आधार आधारित डिजिटल पेमेंट और बायोमेट्रिक ऑथेंटिकेशन लागू किया गया है, वहां वेलफेयर लीकेज लगभग 12.7% तक कम हो गया है. यह जानकारी सोमवार को जारी एक रिपोर्ट में साझा की गई. बोस्टन कंसल्टिंग ग्रुप (BCG) की रिपोर्ट में बताया गया है कि विश्व भर में सरकारें हर साल नागरिकों को सार्वजनिक भुगतान के रूप में 21 ट्रिलियन डॉलर से अधिक वितरित करती हैं, लेकिन इसमें से लगभग 3 ट्रिलियन डॉलर धोखाधड़ी, त्रुटियों या कार्यकुशलता की कमी के कारण बर्बाद हो जाते हैं.
बायोमेट्रिक और डिजिटल पेमेंट से 10 अरब डॉलर की बचत
रिपोर्ट में कहा गया कि भारत में बायोमेट्रिक ऑथेंटिकेशन और डायरेक्ट डिजिटल ट्रांसफर ने राशन, पेंशन, एलपीजी सब्सिडी, उर्वरकों और ग्रामीण रोजगार के लिए मजदूरी भुगतान में बिचौलियों को समाप्त किया और इससे प्रशासनिक खर्च में कमी आई है. रिपोर्ट में बताया गया कि वर्ल्ड बैंक के अनुमान के मुताबिक भारत आधार आधारित भुगतान सिस्टम के माध्यम से बिचौलियों और जालसाजों को हटाकर करीब 10 अरब डॉलर की बचत कर सकता है.
आधार ने प्रशासनिक खर्च कम करने में अहम निभाई भूमिका
आधार ने दुनिया के कुछ सबसे बड़े सोशल सब्सिडी प्रोग्राम में प्रशासनिक खर्च को कम करने और लीकेज घटाने में अहम भूमिका निभाई है. रिपोर्ट में बताया गया है कि आंध्र प्रदेश, झारखंड और राजस्थान के उदाहरणों से यह साफ़ होता है कि वास्तविक लाभार्थियों को बाहर किए बिना सेवाओं की डिलीवरी में सुधार हुआ है. बीसीजी के पब्लिक सेक्टर प्रैक्टिस के इंडिया लीडर, मारियो गोंसाल्वेस के अनुसार, भारत में पब्लिक सर्विस डिलीवरी और पेमेंट में डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर को तेजी से अपनाने से सिस्टम डिज़ाइन में पारदर्शिता और इंटीग्रिटी शामिल करने की सुविधा मिली है.
एआई सॉल्यूशन और डिजिटल ट्रांसफर से पीएम किसान योजना में लीकेज कम
एआई इनेबल्ड इंटीग्रिटी सॉल्यूशन वेलफेयर प्रोग्राम में लीकेज को काफी कम कर सकते हैं, संस्थानों में विश्वास मजबूत कर सकते हैं और यह सुनिश्चित कर सकते हैं कि पब्लिक खर्च नागरिकों के लिए अधिकतम प्रभाव डाले. केंद्र सरकार ने पीएम किसान सम्मान निधि (PM Kisan) योजना के तहत देश के 11 करोड़ से अधिक किसान परिवारों के बैंक खातों में सीधे 3.7 लाख करोड़ रुपए से अधिक का भुगतान किया है. डिजिटल पेमेंट और डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (DBT) के साथ पीएफएम को इंटीग्रेट करने से यह सुनिश्चित हुआ है कि सब्सिडी और वेलफेयर लाभ सीधे लाभार्थियों तक पहुंचे, जिससे लीकेज और डुप्लीकेशन कम हुआ है.

