साल 2025 में भारत के रियल एस्टेट सेक्टर में प्राइवेट इक्विटी निवेश लगभग 3.5 अरब डॉलर दर्ज किया गया. हाल ही में जारी नाइट फ्रैंक इंडिया की रिपोर्ट ने इसे पुष्ट किया है. रिपोर्ट के अनुसार, निवेशकों की रुचि स्थिर रही और निवेश मुख्य रूप से उन क्षेत्रों में हुआ, जहां कम जोखिम और नियमित आय की संभावना अधिक थी. ‘ट्रेंड्स इन प्राइवेट इक्विटी इन्वेस्टमेंट्स इन इंडिया: एच2 2025’ रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2025 में ऑफिस से जुड़ी संपत्तियों में सबसे अधिक प्राइवेट इक्विटी निवेश हुआ. कुल निवेश का 58% यानी करीब 2 अरब डॉलर का हिस्सा सिर्फ ऑफिस रियल एस्टेट में आया, जिससे यह स्पष्ट होता है कि निवेशकों को ऑफिस सेक्टर के आकार, किराए से मिलने वाली नियमित आमदनी और कंपनियों की मांग पर भरोसा है.
रिपोर्ट में कहा गया कि ऑफिस सेक्टर में निवेश की मात्रा पिछले तीन साल के औसत के आसपास ही रही, हालांकि कुल निवेश की रफ्तार थोड़ी धीमी हुई. रिहायशी यानी आवासीय रियल एस्टेट सेक्टर इस साल प्राइवेट इक्विटी निवेश पाने वाला दूसरा सबसे बड़ा क्षेत्र रहा. इसमें कुल निवेश का 17% हिस्सा आया. हालांकि, निवेश का तरीका काफी बदल गया. निवेशकों ने सीधे हिस्सेदारी (इक्विटी) की बजाय सुरक्षित और तय कमाई वाले सौदों को ज्यादा पसंद किया. निवेश का फोकस ऐसे प्रोजेक्ट्स पर रहा, जहां नुकसान का खतरा कम हो और काम समय पर पूरा होने की संभावना साफ हो.
2025 में प्राइवेट इक्विटी निवेश की गति धीमी रही, क्योंकि पूंजी की लागत, संपत्तियों की कीमत और निवेश से बाहर निकलने की परिस्थितियों में संतुलन नहीं बना. हालांकि, भारत की अर्थव्यवस्था से जुड़े संकेत जैसे जीडीपी ग्रोथ, महंगाई और ब्याज दरों में सुधार नजर आया, लेकिन ये बदलाव निवेशकों को बड़े जोखिम लेने के लिए पर्याप्त नहीं थे. इसी कारण निवेशक सतर्क रहे और उच्च जोखिम वाले निवेशों की बजाय स्थिर और सुनिश्चित आय वाले विकल्पों को प्राथमिकता दी. वहीं, वेयरहाउसिंग सेक्टर (गोदाम उद्योग) तीसरे स्थान पर रहा और इस क्षेत्र में कुल निवेश का लगभग 15% हिस्सा आया.
ई-कॉमर्स, मैन्युफैक्चरिंग और सप्लाई चेन के बढ़ने से लॉजिस्टिक्स से जुड़ी संपत्तियों की मांग मजबूत बनी रही. हालांकि, स्थिर संस्थागत परिसंपत्तियों की उपलब्धता और नए प्रोजेक्ट्स को लेकर सतर्कता के कारण निवेश ज्यादा नहीं बढ़ पाया. रिटेल रियल एस्टेट सेक्टर में 2025 में निवेश अपेक्षाकृत कम रहा. इसमें कुल निवेश का 11% हिस्सा आया. यह निवेश मुख्य रूप से एक बड़े सौदे के चलते हुआ, क्योंकि पिछले करीब दो सालों से इस सेक्टर में निवेश काफी कमजोर रहा था. रिपोर्ट के अनुसार, निवेशकों ने केवल उच्च गुणवत्ता वाले रिटेल प्रोजेक्ट्स में ही रुचि दिखाई, जहां व्यवसाय अच्छा चल रहा हो और भविष्य में निवेश से बाहर निकलने का स्पष्ट रास्ता हो. वहीं, छोटे या कमज़ोर मॉल्स में निवेश की रुचि काफी कम रही.