Assam Boka Rice: भारत के प्रमुख चावल उत्पादक देश है. यहां के एक बड़े क्षेत्रफल में चावल की खेती की जाती है. कुछ राज्य तो ऐसे हैं, जहां हर सीजन यानी बारहमासी धान की फसल उगायी जाती है. चावल की कुछ किस्में ऐसी हैं, जो पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है. ऐसे में आज हम आपको ऐसे चमत्कारी चावल की किस्म के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसे जानकर आप सोच में पड़ जाएंगे, क्योंकि अभी तक आपने चावल को गर्म पानी में पकते हुए सुना या देखा होगा, लेकिन यह मैजिक चावल गर्म पानी की बजाय ठंडे पानी में पकता है. आइए जानते हैं इस चावल के खासियत के बारे में…
दरअसल, हम बात कर रहे हैं असम के ब्रह्मपुत्र घाटी में बड़े पैमाने पर उगाए जाने वाले ‘बोका-चोकुवा चावल’के बारे में. इस चावल की खासियत के चलते इसे मैजिक चावल भी कहा जाता है. इस चावल को भारत सरकार की तरफ से GI टैग प्राप्त है. मैजिक चावल की खासियत है कि यह सामान्य चावल की तरह गर्म पानी में नहीं पकता, बल्कि इसे एक घंटे पानी में रखने से यह सभी चावलों की तरह पककर तैयार हो जाता है.
क्यों खास है यह चावल
बोका चावल प्रमुख तौर पर असम के कोकराझार, बारपेटा, नलबारी, बक्सा, धुबरी, दररंग, कामरूप में बोका चावल की खेती की जाती है. यहां की मिट्टी और जलवायु से इस चावल को एक अलग ही स्वाद और एक अलग ही खुशबू मिली है. बोका चावल की खासियत यह है कि जिस तरह बिहार में चूड़ा में पानी, गुड़, दही आदि मिला कर लोग खाते हैं, उसी तरह से मैजिक चावल को दूध, दही, घी आदि के साथ आराम से खाया जाता है. इस चावल को लेकर लोगों का मानना है कि इसमें फाइबर प्रचुर मात्रा में होती है. इसलिए इस चावल को लगातार तीन दिन खाने के बाद चौते दिन शरीर में अलग ही स्फूर्ति वाली ऊर्जा महसूस होती है.
कैसे होती है खेती
बता दें कि बोका चावल को बोका चाउल और ओरिजा सातिवा भी कहते हैं. 50 से 60 मिनट के लिए सामान्य पानी में छोड़ने भर से ही चावल तैयार हो जाता था. पहले यह चावल सिर्फ असम में उगाया जाता था, लेकिन अब इसकी खेती पश्चिम बंगाल, बिहार और उत्तर प्रदेश में भी की जा रही है. हैरान की बात यह है कि बोका चावल को पकाना बेहद आसान है, लेकिन उगाना नहीं, क्योंकि एक एकड़ खेत में मात्र 10 बोरी ही इसकी पैदावार होती है.
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(Disclaimer: इस लेख में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. किसान भाई, किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें. The Printlines इसकी पुष्टि नहीं करता है.)