पति की लाश को बनाया ‘खाद’, अब उगा रही हैं पौधे; अमेरिका के न्यू जर्सी में बना ‘Human Composting’ कानून

Shivam
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Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)
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Human Composting in New Jersey: जब मौत की बात आती है, तो अक्सर दिमाग में अंधकार और विरक्ति का भाव आता है. लेकिन न्यू जर्सी में अब मृत्यु को जीवन से जोड़ने का अनोखा तरीका अपनाया जा रहा है. हाल ही में वहां एक नया कानून पारित हुआ है, जिसके तहत अब इंसानों के शवों को न तो जलाया जाएगा और न ही कब्र में दफनाया जाएगा. इसके बजाय, उन्हें खाद में बदलकर धरती को उपजाऊ बनाने का काम किया जाएगा. आइये जानें आखिर इस प्रक्रिया को क्या कहते हैं और न्यू जर्सी को इस तरह के कानून बनाने की जरूरत क्यों पड़ी?

कानून का मानवीय पहलू 

इस प्रक्रिया को ‘Human Composting’ कहते हैं. सोचिए किसी प्रियजन का शरीर कुछ ही हफ्तों में खाद में बदल जाए और वही खाद किसी बाग में फूल खिला दे. यह सिर्फ पर्यावरण को नहीं बचाता, बल्कि जीवन और मृत्यु के बीच एक अनोखा रिश्ता भी कायम करता है. हालांकि, आम लोग इसे इसे स्वीकार करेंगे अभी इसमें संदेह है.

न्यू जर्सी के असेंबलीमैन जूलियो मारेको कहते हैं कि यह कानून परिवारों को एक सम्मानजनक विकल्प देता है. मौत के बाद भी हम अपने प्रियजनों को धरती में ऐसे सौंप सकते हैं कि उनसे जीवन पनपता रहे.

कब्रिस्तानों में जगह की किल्लत

न्यू जर्सी एक घनी आबादी वाला राज्य है, जहां कब्रिस्तानों में जगह की कमी अब एक गंभीर समस्या बन चुकी है. पारंपरिक दफन प्रक्रिया के लिए न केवल बड़ी जमीन की जरूरत होती है, बल्कि यह लंबे समय तक उपयोग में नहीं लाई जा सकने वाली जगह भी बन जाती है.

Human Composting यानी मानव कम्पोस्टिंग इस समस्या का टिकाऊ और पर्यावरण हितैषी समाधान बनकर सामने आया है. यह न सिर्फ जमीन की बचत करता है, बल्कि मिट्टी को उपजाऊ बनाकर जीवनचक्र को भी बनाए रखता है.

कहां से हुई शुरुआत?

डियाना नाम की महिला के पति केन का 90 साल की उम्र में निधन हुआ. केन को जलाया जाना पसंद नहीं था. इस कारण डियाना ने वॉशिंगटन की एक कंपनी से पति के शव को खाद में बदलवा लिया. आज वह उसी खाद से अपने घर के बाग में पौधे लगाती हैं. डियाना कहती हैं- जब इन पौधों में फूल खिलते हैं, मुझे लगता है केन अब भी मेरे आसपास हैं.

मृत्यु को नई परिभाषा: अंत नहीं, एक नई शुरुआत

यह कहानी हमें सिखाता है कि मौत केवल अंत नहीं, बल्कि प्रकृति में लौटने और जीवन को आगे बढ़ाने का एक माध्यम भी हो सकती है. मिट्टी में बदलकर पेड़-पौधों की जड़ों को सींचना— यह प्रक्रिया हमें याद दिलाती है कि जीवन और मृत्यु एक ही चक्र के हिस्से हैं. जब एक जीवन समाप्त होता है, तो वह दूसरे जीवन की जमीन तैयार करता है. यह सोच हमारे समाज को मृत्यु को स्वीकार करने का एक नया, संवेदनशील और पर्यावरण हितैषी दृष्टिकोण देती है.

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